[ ३ ]
कहान जनमतां भरतखंड डोल्युं,
जनम्या अनुपम कहान....उजमबा० ३.
मोतीचंदभाईने घेर नृत्य आज थाय छे,
घेर घेर मंगळ थाय....उजमबा०;
देवदेवेन्द्रो मंगळ आज गाय छे,
भरतखंडमां डंका थाय....उजमबा० ४.
बाळक कुंवर कहान ए जुदा हतां कोई,
खेलता’ता ज्ञानकुंज मांही....उजमबा०;
वीत्या वीत्या ते कांई बाळकाळ वीत्या,
लागी धून आतमानी मांही..उजमबा० ५.
वैरागी कहाने त्याग ज लीधो,
काढ्युं अलौकिक कांई.....उजमबा०;
कहानगुरुए बंसरी बजावी,
मीठा ए बंसरीना सूर....उजमबा० ६.
मीठा आ सूर अहीं आव्या छे क्यांथी,
जाग्यो छे एक कोई संत....उजमबा०;
चालो सहु ए सुणवा जईए,
मीठा आ बंसरीना सूर....उजमबा० ७.
अबधूत अलख जगाडनार संत आ,
देवोने आश्चर्य थाय....उजमबा०;
अध्यात्मरसनो रसीलो संत आ,
श्रुतसागर ऊछळ्या महान....उजमबा० ८.
पाक्या छे युगप्रधानी संत आ,
सेवकने हरख न माय....उजमबा०;
एवा संतनी चरणसेवाथी,
भवना आवे छे अंत..... उजमबा०;