Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 13. MERA MANADA MANHI GURUDEV.

< Previous Page   Next Page >


Page 14 of 95
PDF/HTML Page 22 of 103

 

background image
[ १४ ]
तारी मति, तारी गति, चारित्र लोकातीत छे;
आदर्श साधक तुं थयो, वैराग्य वचनातीत छे. ३.
वैराग्यमूर्ति, शांतमुद्रा, ज्ञाननो अवतार तुं;
ओ देवना देवेन्द्र वहाला! गुण तारा शुं कथुं? ४.
अनुभव महीं आनंदतो सापेक्ष द्रष्टि तुं धरे;
दुनिया बिचारी बावरी तुज दिल देखे क्यां अरे. ५.
तारा हृदयना तारमां रणकार प्रभुना नामना;
ए नाम ‘सोहं’ नामनुं, भाषा परा ज्यां काम ना. ६.
अध्यात्मनी वातो करे, अध्यात्मनी द्रष्टि धरे;
निज देह
अणुअणुमां अहो! अध्यात्मरस भावे भरे. ७.
अध्यात्ममां तन्मय बनी अध्यात्मने फेलावतो;
काया अने वाणी
हृदय, अध्यात्ममां रेलावतो. ८.
ज्यां ज्यां तमारी द्रष्टि, त्यां आनंदना ऊभरा वहे;
छाया छवाये शांतिनी, तुं शांतमूर्ते! ज्यां रहे. ९.
अध्यात्ममूर्ति, शान्तमुद्रा, ज्ञाननो अवतार तुं;
ओ कहानदेव देवेन्द्र वहाला! गुण तारा शुं कथुं? १०.
१३. मेरा मनMा मांही गुरुदेव....
मेरा मनडा मांही गुरुदेव रमे;
जगना तारणहाराने मारुं दिल नमे.
धर्मध्वज फरके छे मोरे मंदिरिये;
स्वाध्यायमंदिर स्थपाया अम आंगणिये.
शासनतणा सम्राट अमारे आंगणे आव्या,
अद्भुत योगिराज अमारां धाम दीपाव्यां;