(एने) आतमज्योति जागी छे, प्रभुमय लगनी लागी छे;
भ्रमणा सौनी भांगी छे, ए प्रभावशाळी आतमा. १७.
श्रीमंत-धीमंत आवे छे, चरणे शिर झुकावे छे;
मानीनां मान मुकावे छे, ए प्रभावशाळी आतमा. १८.
अंतर शोध करावे छे, भक्तजनोने भावे छे;
आतमज्ञाने सोहे छे, ए प्रभावशाळी आतमा. १९.
अजब-गजबनी व्यक्ति छे, अनोखी एनी शक्ति छे;
निष्काम प्रभुनी भक्ति छे, ए प्रभावशाळी आतमा. २०.
करुणा अपरंपार छे, पुण्यशाळी पारावार छे;
तेने वंदन लाखो वार छे, ए प्रभावशाळी आतमा. २१.
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५७. अवनी उद्धारवा
अवनी उद्धारवा, भव्योने तारवा, तारो अवतार;
कहान तारी बंसीमां डोले नरनार (२).
सत्यने स्थापवा, असत्यने उथापवा;
थयो भरतमां तारो अवतार......कहान० १.
आत्म उद्धारवा, भवसागर तारवा;
जिज्ञासु जीवनो साचो सरदार......कहान० २.
अज्ञान मिटाववा, ज्योति प्रगटाववां;
ज्ञानामृत सींची जीवन देनार.....कहान० ३.
आत्मद्रष्टि आपतो, जडता उथापतो;
अज्ञानी अम पर तारा उपकार.....कहान० ४.
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