आत्मस्वरूपे लीन, जगथी उदासीन;
साचुं पवित्र तुं जीवन जीवनार......कहान० ५.
जिनशासन काज, धर्म उद्धारवा ज;
डंको वगाड्यो तें भरत मोझार....कहान० ६.
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५८. एक अद्भुत आतमा
एक अद्भुत आतमा, वीरनो मारग जाणता;
मुमुक्षुओ वखाणता, ए प्रभावशाळी आतमा. १.
भाविकने संभाळे छे, आतमलक्षे वाळे छे;
संशय सौना टाळे छे, ए प्रभावशाळी आतमा. २
आत्मज्ञाननो रसियो छे, अम अंतरमां वसियो छे;
संसारथी दूर खसियो छे, ए प्रभावशाळी आतमा. ३.
कर्मशत्रुने हणनारो, साचो अनुभव करनारो;
बिरूद धर्युं तारणहारो, ए प्रभावशाळी आतमा. ४.
सुंवाळी एनी काया छे, शीतळ जेनी छाया छे;
ते उजमबाना जाया छे, ए प्रभावशाळी आतमा. ५.
रोकायो नहि मायामां, जेने मोह नथी आ कायामां;
रहेवुं एनी छायामां, ए प्रभावशाळी आतमा. ६.
(एने) नहीं ओळखे ते पस्ताशे, भव रखडी खत्ता खाशे;
जाणनारा फावी जाशे, ए प्रभावशाळी आतमा. ७.
तेने कदी न विसारीए, आज्ञा एनी शिर धरीए;
भवसागर स्हेजे तरीए, ए प्रभावशाळी आतमा. ८.
सुवर्णपुरी मोझार छे, पुण्यशाळी पारावार छे;
श्रद्धाथी बेडो पार छे, ए प्रभावशाळी आतमा. ९.
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