Gurustutiaadisangrah-Gujarati (Devanagari transliteration). 62. AAJE DIVYADHVANI CHHOOTEE RE.

< Previous Page   Next Page >


Page 81 of 95
PDF/HTML Page 89 of 103

 

background image
६२. आज दिव्यधवनि छूटी
(रागप्रभु पावन करोने मारुं आंगणुं रे)
आज दिव्यध्वनि छूटी वीरमुखथी रे,
आज ॐध्वनि छूटी वीर मुखथी रे,
अनंत जीवोना तारणहार.....आज
सहु महोत्सव करीए आज.....आज १.
आज इंद्रोना टोळां ऊतर्यां रे,
आज भरतक्षेत्रनी मांही.....आज २.
ॠजुवालिकाए शुक्लध्यान आदर्युं रे,
प्रभु पाम्या छो केवळज्ञान.....आज ३.
प्रभु समोसरण-रचना बनी रे,
भव्यो जुए ध्वनिनी वाट.....आज ४.
आज पात्र गौतमजी पधारिया रे,
प्रभु दिव्यध्वनिना छूट्या धोध.....आज ५.
विपुलाचले समोसरण जामिया रे,
श्रेणिक-राजानी राजधानी मांही.....आज
रूडी राजगृही नगरी मांही.....आज ६.
प्रभु! गगने वाजिंत्रो वागियां रे,
गाज्या त्रण भुवनमां नाद.....आज ७.
आज दिव्यध्वनिना धोध उछळ्या रे,
आज ॐकार नादो गाजिया रे,
जाणे ऊछळ्यो समुद्र अगाध.....आज ८.
[ ८१ ]