चार तीर्थ ध्वनिरसे तरबोळ थयां रे,
गणधर – मुनि – श्रावकनां थयां वृंद.....आज०
आत्म-आनंदमां नाची ऊठ्या आज.....आज० ९.
साक्षात् जिनेन्द्र भरतमां बिराजता रे;
दिव्य ध्वनिनी वर्षा थाय.....आज०
धन्य धन्य ते दिन ने रात.....आज० १०.
वीरपुत्र एवा कहानगुरु पाकिया रे,
जेणे सुणाव्या ॐनां स्वरूप.....आज० ११.
अद्भुत रचना रची कहानगुरुए रे,
खोल्या दिव्यध्वनिनां रहस्य.....आज० १२.
देव-गुरुनी सेवा हृदये वसो रे,
वसो वसो प्रभु! ए त्रिकाळ आज० १३.
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६३. वीरप्रभु सिद्ध थया छे
(राग – भेटे झूले छे तलवार)
निर्वाणमहोत्सव दिन आज,
वीरप्रभु सिद्ध थया छे;
वीर जिनेश्वर सिद्ध थया छे,
गौतम केवळज्ञान,...वीर० १.
समश्रेणी प्रभु पावापुरीमां,
मुक्तिमां बिराज्यां नाथ,...वीर० २.
अनादि देहनो संबंध छूटीने,
चैतन्यगोळो छूट्यो आज,...वीर० ३.
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