Ishtopdesh-Gujarati (English transliteration).

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iShTopadesh
[ bhagavAnashrIkundakund-
अनन्तसुखस्वभावः एतेन सांख्ययौगतन्त्रं प्रत्याहतम् पुनरपि कीदृशस्तनुमात्रः
स्वोपात्तशरीरपरिमाणः एतेन व्यापकं वटकणिकामात्रं चात्मानं वदन्तौ प्रत्याख्यातौ
पुनरपिकीदृशः, निरत्ययः द्रव्यरूपतया नित्यः एतेन गर्भादिमरणपर्यन्तं जीवं प्रतिजानानश्चार्वाको
निराकृतः ननु प्रमाणसिद्धे वस्तुन्येवं गुणवादः श्रेयान्न चात्मनस्तथा प्रमाण-
सिद्धत्त्वमस्तीत्याशंकायामाह स्वसंवेदनसुव्यक्त इति [उक्तं च तत्त्वानुशासने ]
बुद्धि सुख-दुःखादि गुणोंसे रहित पुरुष है, ऐसा योगदर्शन खंडित हुआ समझना चाहिए
और बौद्धोंका ‘नैरात्म्यवाद’ भी खंडित हो गया
फि र बतलाया गया है कि ‘वह आत्मा
सौख्यवान् अनंत सुखस्वभाववाला है’। ऐसा कहनेसे सांख्य और योगदर्शन खंडित हो गया
फि र कहा गया कि वह ‘‘तनुमात्रः’’ ‘अपने द्वारा ग्रहण किये गये शरीरपरिमाणवाला है’
ऐसा कहनेसे जो लोग कहते हैं कि ‘आत्मा व्यापक है’ अथवा ‘आत्मा वटकणिका मात्र
है’ उनका खंडन हो गया
फि र वह आत्मा ‘‘निरत्ययः’’ ‘द्रव्यरूपसे नित्य है’ ऐसा
कहनेसे, जो चार्वाक यह कहता था कि ‘‘गर्भसे लगाकर मरणपर्यन्त ही जीव रहता है,’’
उसका खण्डन हो गया
यहाँ पर किसीकी यह शंका है कि प्रमाणसिद्ध वस्तुका ही गुण-गान करना उचित
है; परन्तु आत्मामें प्रमाणसिद्धता ही नहीं हैवह किसी प्रमाणसे सिद्ध नहीं है तब ऊपर
buddhi Adi (buddhi, sukh, dukh Adi) guNothI rahit puruSh (AtmA chhe)evA
yogamatanun khanDan karyun tathA 1bauddhonA ‘नैरात्म्यवाद’nun paN khanDan thaI gayun.
vaLI (AtmA) kevo chhe? atyant saukhyavAn arthAt anantasukhasvabhAvI chhe. tenAthI
(em kahevAthI) sAnkhya ane yog mat (darshan)nun khanDan thayun; vaLI (AtmA) kevo chhe?
‘तनमात्रः’ eTale pote grahaN karelA sharIr pramAN chhe. tenAthI (e kathanathI) AtmA vyApak
chhe athavA ‘वटकणिकामात्रं’ chhe, arthAt ‘AtmA vaDanA bIj jevo atyant nAno chhe’evun
kahenArAonun khanDan karyun. vaLI (te AtmA) kevo chhe? ‘निरत्ययः’ eTale dravyarUpe AtmA
nitya chhe. tenAthI ‘garbhAdithI maraN paryant ja jIv rahe chhe’evun kahenAr chArvAkanun khanDan
karyun.
shiShyanI AshankA chhe kepramANasiddha vastuno ja evo guNavAd ThIk (uchit) chhe,
parantu AtmAnI tevI pramANasiddhatA to nathI, (to uparokta visheShaNothI AtmAno guNavAd
kem sambhave?) evI shankAnun samAdhAn karatAn AchArya kahe chhe
१. अभावात्मको मोक्षः ।