Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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५० प्र. द्रव्योमां विशेष गुण क्या क्या छे ?
उ. जीव द्रव्यमां चेतना, सम्यक्त्व, चारित्र क्रियावती
शक्ति इत्यादि; पुद्गलद्रव्यमां स्पर्श, रस, गंध, वर्ण क्रियावती
शक्ति; धर्मद्रव्यमां गतिहेतुत्व वगेरे; अधर्मद्रव्यमां
स्थितिहेतुत्व वगेरे; आकाश द्रव्यमां अवगाहनहेतुत्व अने
काळ द्रव्यमां परिणमनहेतुत्व वगेरे.
५१ प्र. आकाशना केटला भेद छे ?
उ. आकाश एक ज अखंड द्रव्य छे.
५२ आकाश क्यां छे ?
उ. आकाश सर्वव्यापी छे.
५३ प्र. लोकाकाश कोने कहे छे ?
उ. ज्यां सुधी जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, काळ ए
पांच द्रव्य छे, त्यां सुधीना आकाशने लोकाकाश कहे छे.
५४ प्र. अलोकाकाश कोने कहे छे ?
उ. लोकना बहारना आकाशने अलोकाकाश कहे छे.
५५ प्र. लोकनी मोटाई, ऊंचाई अने पहोळाई
केटली छे ?
उ. लोकनी मोटाई उत्तर अने दक्षिण दिशामां सर्व
जग्याए सात राजू छे. पहोळाई पूर्व अने पश्चिम दिशामां
मूळमां (नीचे जमीनमां) सात राजू छे. अने उपर अनुक्रमे
घटीने सात राजूनी ऊंचाई उपर पहोळाई एक राजू छे.
पछी अनुक्रमे वधीने साडा दश राजूनी ऊंचाई उपर
पहोळाई पांच राजू छे. पछी अनुक्रमे घटीने चौद राजूनी
ऊंचाई उपर एक राजू पहोळाई छे. अने ऊर्ध्व तथा अधो
दिशामां ऊंचाई चौद राजुनी छे.
५६ प्र. धर्म तथा अधर्म द्रव्य खंडरूप छे के
अखंडरूप छे ? अने तेनी स्थिति क्यां छे ?
उ. धर्म अने अधर्म बंने एक एक अखंड द्रव्य छे
अने ते बन्नेय समस्त लोकाकाशमां व्याप्त छे.
१२ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ १३
जीव अने पुद्गलमां, पोते पोतानी, क्रियावती नामनी खास
एक शक्ति छे के जेना कारणे ते पोते पोतानी लायकात
अनुसार गमन करे छे अने स्थिर थाय छे. कोई द्रव्य (जीव
के पुद्गल) एक बीजाने गमन के स्थिर करावतुं नथी. ते बंने
द्रव्यो पोतानी क्रियावती शक्तिथी ते समयनी पर्यायनी
लायकात अनुसार गमन करे छे अने स्थिर थाय छे.