५७ प्र. प्रदेश कोने कहे छे ?
उ. आकाशना जेटला भागने एक पुद्गल परमाणु
रोके, तेटला भागने प्रदेश कहे छे.
५८ प्र. काळद्रव्य केटला भेदरूप छे अने तेनी
स्थिति क्यां छे ?
उ. लोकाकाशना जेटला प्रदेश छे, तेटला ज काळद्रव्य
छे. अने लोकाकाशना एक एक प्रदेश पर एक एक
काळद्रव्य (कालाणु) स्थित छे.
५९ प्र. पुद्गलद्रव्य केटला अने तेनी स्थिति क्यां छे ?
उ. पुद्गलद्रव्य अनंतानंत छे अने ते समस्त
लोकाकाशमां भरेला छे.
६० प्र. जीवद्रव्य केटला अने क्यां छे ?
उ. जीवद्रव्य अनंतानंत छे अने ते समस्त
लोकाकाशमां भरेला छे.
६१ प्र. एक जीव केटलो मोटो छे ?
उ. एक जीव प्रदेशोनी अपेक्षाए लोकाकाशनी
बराबर छे, परंतु संकोच – विस्तारना कारणथी पोताना
शरीरप्रमाण छे; अने मुक्त जीव अंतना शरीरप्रमाण छे.
६२ प्र. लोकाकाशनी बराबर क्यो जीव छे ?
उ. मोक्ष जतां पहेलां समुद्घात करवावाळो जीव
लोकाकाशनी बराबर थाय छे.
६३ प्र. समुद्घात कोने कहे छे ?
उ. मूळ शरीर छोड्या वगर जीवना प्रदेशोनुं बहार
नीकळवुं तेने समुद्घात कहे छे.
६४ प्र. अस्तिकाय कोने कहे छे?
उ. बहुप्रदेशी द्रव्यने अस्तिकाय कहे छे.
६५ प्र. अस्तिकाय केटला छे ?
उ. पांच छेः – जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म अने
आकाश; ए पांच द्रव्योने पंचास्तिकाय कहे छे. काळद्रव्य
बहुप्रदेशी नथी, ते कारणथी ते अस्तिकाय पण नथी.
६६ प्र. जो पुद्गलपरमाणु एकप्रदेशी छे, तो ते
अस्तिकाय केवी रीते छे ?
उ. पुद्गल परमाणु शक्तिनी अपेक्षाथी अस्तिकाय
छे अर्थात् स्कंध रूपमां थई (रूपे परिणमी) बहुप्रदेशी थई
१४ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ १५