Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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११६ प्र. सुखगुण कोने कहे छे?
उ. आह्लादस्वरूप आत्माना परिणामविशेषने
सुख कहे छे. तेनी कारणभूत शक्तिने सुखगुण कहे छे.
११७ प्र. वीर्य कोने कहे छे?
उ. आत्मानी शक्तिने (बळने) वीर्य कहे छे, तेना
कारणभूत त्रिकाळी शक्तिने वीर्यगुण कहे छे.
११८ प्र. भव्यत्व गुण कोने कहे छे?
उ. जे शक्तिना निमित्तथी आत्मामां सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र प्रगट थवानी योग्यता होय, तेने
भव्यत्व गुण कहे छे.
११९ प्र. अभव्यत्व गुण कोने कहे छे?
उ. जे शक्तिना निमित्तथी आत्मामां सम्यग्दर्शन,
सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र प्रगट थवानी योग्यता न होय
तेने अभव्यत्व गुण कहे छे.
१२० प्र. जीवत्व गुण कोने कहे छे?
उ. जे शक्तिना निमित्तथी आत्मा प्राण धारण करे
तेने जीवत्व गुण कहे छे
१२१ प्र. प्राण कोने कहे छे?
उ. जेना संयोगथी आ जीव, जीवनअवस्थाने प्राप्त
थाय अने वियोगथी मरणअवस्थाने प्राप्त थाय, तेने प्राण
कहे छे.
१२२ प्र. प्राणना केटला भेद छे?
उ. बे छेःद्रव्यप्राण अने भावप्राण.
१२३ प्र द्रव्यप्राणना केटला भेद छे?
उ. दश छेःमन, वचन, काय, स्पर्शेन्द्रिय, रसनेन्द्रिय,
घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, श्रोत्रेन्द्रिय, श्वासोच्छ्वास अने आयु.
१२४ प्र. भावप्राण कोने कहे छे?
उ. आत्मानी जे शक्तिना निमित्तथी इन्द्रियादिक
पोताना कार्यमां प्रवर्ते तेने भावप्राण कहे छे.
१२५ प्र. क्या जीवने केटला प्राण होय छे?
उ. एकेन्द्रिय जीवने चार प्राण होय छे.
स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ, श्वासोच्छ्वास अने आयु, द्वीन्द्रिय
जीवने छ प्राण
स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ, श्वासोच्छ्वास, आयु,
रसनेन्द्रिय अने वचन. त्रीन्द्रिय जीवने सात प्राण
२६ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ २७