Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ, श्वासोच्छ्वास, आयु, रसनेन्द्रिय,
वचन, घ्राणेन्द्रिय. चतुरिन्द्रिय जीवोने आठ प्राण
स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ, श्वासोच्छ्वास, आयु, रसनेन्द्रिय,
वचन, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय. पंचेन्द्रिय असंज्ञी जीवोने नव
प्राण
स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ, श्वासोच्छ्वास, आयु,
रसनेन्द्रिय, वचन, घ्राणेन्द्रिय, चक्षुरिन्द्रिय, श्रोत्रेन्द्रिय अने
संज्ञी पंचेन्द्रिय जीवोने दशप्राण
स्पर्शनेन्द्रिय, कायबळ,
श्वासोच्छ्वास, आयु, रसनेन्द्रिय, वचन, घ्राणेन्द्रिय,
चक्षुरिन्द्रिय, श्रोत्रेन्द्रिय अने मनबळ.
१२६ (क) प्र. भावप्राणना केटला भेद छे?
उ. बे छेःभावेन्द्रिय अने बलप्राण.
१२६ (ख) प्र. भावेन्द्रियना केटला भेद छे?
उ. पांच छेःस्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु अने श्रोत्र.
१२७ प्र. बलप्राणना केटला भेद छे?
उ. त्रण छेःमनोबल, वचनबल अने कायबल.
१२८ प्र. वैभाविक गुण कोने कहे छे?
उ. जे शक्तिना निमित्तथी बीजा द्रव्यनो संबंध
थतां आत्मामां विभाव परिणति थाय, ते शक्तिने वैभाविक
गुण कहे छे.
प्रतिजीवी गुण
१२९ प्र. अव्याबाध प्रतिजीवी गुण कोने कहे छे?
उ. शाता अने अशातारूप आकुळताना अभावने
अव्याबाध प्रतिजीवी गुण कहे छे.
१३० प्र. अवगाह प्रतिजीवीगुण कोने कहे छे?
उ. परतंत्रताना अभावने अवगाह प्रतिजीवी गुण
कहे छे.
१३१ प्र. अगुरुलघुत्व प्रतिजीवी गुण कोने कहे छे?
उ. उच्चता अने नीचताना अभावने अगुरुलघुत्व
प्रतिजीवीगुण कहे छे.
१३२ प्र. सूक्ष्मत्व प्रतिजीवी गुण कोने कहे छे?
उ. इन्द्रियोना विषयरूप स्थूळताना अभावने
सूक्ष्मत्व प्रतिजीवी गुण कहे छे.
प्रथम अध्यायः समाप्त
२८ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ २९