२६९ प्र. वर्गणा कोने कहे छे?
उ. वर्गोना समूहने वर्गणा कहे छे.
२७० प्र. वर्ग कोने कहे छे?
उ. समान अविभागप्रतिच्छेदोना धारक प्रत्येक
कर्मपरमाणुने वर्ग कहे छे.
२७१ प्र. अविभागप्रतिच्छेद कोने कहे छे?
उ. शक्तिना अविभागी अंशने अविभागप्रतिच्छेद
कहे छे. अथवा जेनो बीजो भाग थई शके नहि तेवा अंशने
अविभागप्रतिच्छेद कहे छे.
२७२ प्र. आ प्रकरणमां ‘‘शक्ति’’ शब्दथी कई
शक्ति इष्ट छे?
उ. अहीं शक्ति शब्दथी कर्मोनी अनुभागरूप
अर्थात् फळ आपवानी शक्ति इष्ट छे.
२७३ प्र. उदयाभावी क्षय कोने कहे छे?
उ. फळ आप्या विना आत्माथी कर्मना संबंध
छूटवाने उदयाभावी क्षय कहे छे.
२७४ प्र. उत्कर्षण कोने कहे छे?
उ. कर्मोनी स्थिति तथा अनुभागना वधी जवाने
उत्कर्षण कहे छे.
२७५ प्र. अपकर्षण कोने कहे छे?
उ. कर्मोनी स्थिति तथा अनुभागना घटी जवाने
अपकर्षण कहे छे.
२७६ प्र. संक्रमण कोने कहे छे?
उ. कोई पण कर्मना सजातीय एक भेदने बीजा
भेदरूप थई जवाने संक्रमण कहे छे.
२७७ प्र. समयप्रबद्ध कोने कहे छे?
उ. एक समयमां जेटला कर्मपरमाणु अने
नोकर्मपरमाणु बंधाय, ते सर्वने समयप्रबद्ध कहे छे.
२७८ प्र. गुणहानि कोने कहे छे?
उ. गुणाकाररूप हीन हीन (ओछुं ओछुं) द्रव्य
जेमां जणाय, तेने गुणहानि कहे छे. जेमके – कोई जीवे एक
समयमां ६३०० परमाणुओना समूहरूप समय प्रबद्धनो
बंध कर्यो अने तेमां ४८ समयनी स्थिति पडी, तेमां
६२ ][ अध्यायः २श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ६३