Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 36 of 110

 

background image
गुणहानिओना समूहरूप नाना गुणहानि ६, तेमांथी प्रथम
गुणहानिना परमाणु ३२००, बीजी गुणहानिना परमाणु
१६००, त्रीजी गुणहानिना परमाणु ८००, चोथी
गुणहानिना परमाणु ४००, पांचमी गुणहानिना परमाणु
२०० अने छठ्ठी गुणहानिना परमाणु १०० छे. अहीं
उत्तरोत्तर गुणहानिओमां गुणाकाररूप हीन हीन
परमाणु(द्रव्य) प्राप्त थाय छे. तेथी तेने गुणहानि कहे छे.
२७९ प्र. गुणहानि आयाम कोने कहे छे?
उ. एक गुणहानिना समयना समूहने गुणहानि
आयाम कहे छे. जेमकेउपरना द्रष्टांतमां ४८ समयनी
स्थितिमां ६ गुणहानि हती, तो ४८ ने ६ ए भागवाथी
प्रत्येक गुणहानिनुं परिमाण ८ आव्युं, ते ज गुणहानि
आयाम कहेवाय छे.
२८० प्र. नाना गुणहानि कोने कहे छे?
उ. गुणहानिओना समूहने नाना गुणहानि कहे
छे. जेमकेउपरना द्रष्टान्तमां आठ आठ समयनी छ
गुणहानि छे, ते ज छ संख्या नाना गुणहानिनुं परिमाण
जाणवुं.
२८१ प्र. अन्योन्याभ्यस्तराशि कोने कहे छे?
उ. नानागुणहानिप्रमाण बमणुं मांडीने परस्पर
गुणाकार करवाथी जे गुणनफळ (गुणाकार) थाय, तेने
अन्योन्याभ्यस्तराशि कहे छे. जेमके
उपरना द्रष्टांतमां बे
छ वार मांडीने परस्पर गुणवाथी ६४ थाय छे, ते ज
अन्योन्याभ्यस्तराशिनुं परिमाण जाणवुं.
२८२ प्र. अंतिम गुणहानिनुं परिमाण केवी रीते
काढवुं?
उ. एक ओछा अन्योन्याभ्यस्तराशिनो भाग
समयप्रबद्धमां मूकवाथी अंतिम गुणहानिना द्रव्यनुं परिमाण
नीकळे छे. जेमके
६३००मां एक ओछा ६४नो भाग
देवाथी जे १०० प्राप्त थया, ते ज अंतिम गुणहानिनुं द्रव्य
छे.
२८३ प्र. अन्यगुणहानिओना द्रव्यनुं परिमाण केवी
रीते काढवुं जोईए?
उ. अंतिम गुणहानिना द्रव्यने प्रथम गुणहानि
पर्यंत बमणा बमणा करवाथी अन्यगुणहानिओना द्रव्यनुं
६४ ][ अध्यायः २श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ६५