२९२ प्र. कारणना केटला भेद छे?
उ. बे भेद छेः – एक समर्थ कारण अने बीजुं
असमर्थ कारण.
२९३ प्र. समर्थ कारण कोने कहे छे?
उ. प्रतिबंधनो अभाव तथा सहकारी समस्त
सामग्रीओना सद्भावने समर्थ कारण कहे छे. समर्थ
कारणना थवाथी कार्यनी उत्पत्ति नियमथी थाय छे.
२९४ प्र. असमर्थ कारण कोने कहे छे?
उ. भिन्नभिन्न प्रत्येक सामग्रीने असमर्थ कारण
कहे छे. असमर्थ कारण कार्यनुं नियामक नथी.
२९५ प्र. सहकारी सामग्रीना केटला भेद छे?
उ. बे भेद छेः – एक निमित्तकारण, बीजुं
उपादानकारण.
२९६ प्र. निमित्तकारण कोने कहे छे?
उ. स्वयं कार्यरूप न परिणमे, परंतु कार्यनी
उत्पत्तिमां सहायक ( अनुकुळ) होवानो जेना उपर आरोप
आवे छे ते पदार्थने निमित्तकारण कहे छे. जेमके – घडानी
उत्पत्तिमां कुंभार, दंड, चक्र, आदि.
२९७ प्र. उपादानकारण कोने कहे छे?
उ. + (१) जे पदार्थ स्वयं कार्यरूप परिणमे, तेने
उपादानकारण कहे छे. जेमके – घडानी उत्पत्तिमां माटी, (२)
अनादिकाळथी द्रव्यमां जे पर्यायोनो प्रवाह चाली रह्यो छे,
तेमां अनंतर पूर्वक्षणवर्ती पर्याय उपादान कारण छे. अने
अनंतर उत्तरक्षणवर्ती पर्याय कार्य छे, (३) ते समयनी
पर्यायनी योग्यता ते उपादानकारण अने ते पर्याय कार्य.
उपादानकारण ते ज खरुं कारण छे.
२९८ प्र. द्रव्यबंध कोने कहे छे?
उ. कार्माणस्कंधरूप पुद्गलद्रव्यमां आत्मानी साथे
संबंध थवानी शक्तिने द्रव्यबंध कहे छे.
२९९ प्र. भावबंध कोने कहे छे?
उ. आत्माना योगकषायरूप भावोने भावबंध कहे
छे.
७० ][ अध्यायः २श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ७१
+ (१) आप्तमीमांसा. गा – ७१-७२ – टीका (२) आप्तमीमांसा
– गाथा ५८नी टीका (३) पंचाध्यायी – अ – १ – गाथा. ७३२
नंबर (१) द्रव्यार्थिकनये छे; (२) अने (३) पर्यायार्थिक नये छे.