Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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३५९ प्र. गति कोने कहे छे?
उ. गतिनामा नामकर्मना उदयथी जीवना
पर्यायविशेषने गति कहे छे.
३६० प्र. गतिना केटला भेद छे?
उ. चार छेःनरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति,
देवगति.
३६१ प्र. इन्द्रिय कोने कहे छे?
उ. आत्माना लिंगने (चिह्नने) इन्द्रिय कहे छे.
३६२ प्र. इन्द्रियना केटला भेद छे?
उ. बे भेद छेःद्रव्येन्द्रिय अने भावेन्द्रिय.
३६३ प्र. द्रव्येन्द्रिय कोने कहे छे?
उ. निवृत्ति अने उपकरणने द्रव्येन्द्रिय कहे छे.
३६४ प्र. निर्वृत्ति कोने कहे छे?
उ. प्रदेशोनी रचनाविशेषने निर्वृत्ति कहे छे.
३६५ प्र. निर्वृत्तिना केटला भेद छे?
उ. बे छेःबाह्य निर्वृत्ति अने आभ्यंतर निर्वृत्ति.
३६६ प्र. बाह्य निर्वृत्ति कोने कहे छे?
उ. इन्द्रियोनां आकाररूप पुद्गलनी रचनाविशेषने
बाह्य निर्वृत्ति कहे छे.
३६७ प्र. अभ्यंतर निर्वृत्ति कोने कहे छे?
उ. आत्माना विशुद्ध प्रदेशोना इन्द्रियाकार
रचनाविशेषने आभ्यंतर निर्वृत्ति कहे छे.
३६८ प्र. उपकरण कोने कहे छे?
उ. जे निर्वृत्तिनो उपकार (रक्षा) करे, तेने उपकरण
कहे छे.
३६९ प्र उपकरणना केटला भेद छे?
उ. बे छेःआभ्यंतर अने बाह्य.
३७० प्र. आभ्यंतर उपकरण कोने कहे छे?
उ. नेत्र, इन्द्रियमां कृष्ण शुक्ल मंडलनी माफक सर्वे
इन्द्रियोमां जे निर्वृत्तिनो उपकार करे, तेने आभ्यंतर
उपकरण कहे छे.
३७१ प्र. बाह्य उपकरण कोने कहे छे?
उ. नेत्रइन्द्रियमां पलक वगेरेनी माफक जे
८८ ][ अध्यायः ३श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ८९