Jain Siddhant Praveshika-Gujarati (Devanagari transliteration).

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१८ प्र. स्कंध कोने कहे छे ?
उ. अनेक परमाणुओनां बंधने स्कंध कहे छे.
१९ प्र. बंध कोने कहे छे ?
उ. अनेक चीजोमां एकपणानुं ज्ञान कराववावाळा
संबंधविशेषने बंध कहे छे.
२० प्र. स्कंधना केटला भेद छे ?
उ. आहारवर्गणा, तैजसवर्गणा, भाषावर्गणा,
मनोवर्गणा, कार्माणवर्गणा वगेरे बावीस भेद छे.
२१ प्र. आहारवर्गणा कोने कहे छे ?
उ. औदारिक, वैक्रियिक अने आहारक, ए त्रण
शरीररूप जे परिणमे, तेने आहारवर्गणा कहे छे.
२२ प्र. औदारिक शरीर कोने कहे छे ?
उ. मनुष्य तिर्यंचना स्थूळ शरीरने औदारिक शरीर
कहे छे.
२३ प्र. वैक्रियिक शरीर कोने कहे छे ?
उ. जे नाना, मोटा, एक, अनेक वगेरे जुदा जुदा
प्रकारनी क्रियाओ करे एवां देवो अने नारकीओनां शरीरने
वैक्रियिक शरीर कहे छे.
२४ प्र. आहारक शरीर कोने कहे छे ?
उ. छठ्ठा गुणस्थानवर्ती मुनिने तत्त्वोमां कोई शंका
उत्पन्न थयेथी केवळी अथवा श्रुतकेवळीनी समीप जवाने
माटे मस्तकमांथी जे एक हाथनुं पुतळुं नीकळे छे, तेने
आहारक शरीर कहे छे.
२५ प्र. तैजसवर्गणा कोने कहे छे ?
उ. औदारिक अने वैक्रियिक शरीरने कांति
आपवावाळुं तैजस शरीर जे वर्गणाथी बने, तेने तैजस-
वर्गणा कहे छे.
२६ प्र. भाषावर्गणा कोने कहे छे ?
उ. जे शब्दरूप परिणमे, तेने भाषावर्गणा कहे छे.
२६(अ) प्र. मनोवर्गणा कोने कहे छे ?
उ. जे वर्गणा मनरूपे परिणमे, तेने मनोवर्गणा कहे
छे.
६ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ७