२७ प्र. कार्माणवर्गणा कोने कहे छे ?
उ. जे कार्माण शरीररूप परिणमे, तेने कार्माणवर्गणा
कहे छे.
२८ प्र. कार्माण शरीर कोने कहे छे ?
उ. ज्ञानावरण आदि आठ कर्मोना समूहने कार्माण
शरीर कहे छे.
२९ प्र. तैजस अने कार्माण शरीर कोने होय छे ?
उ. सर्व संसारी जीवोने तैजस अने कार्माण शरीर
होय छे.
३० प्र. धर्म द्रव्य कोने कहे छे ?
उ. स्वयं गतिरूप परिणत जीव अने पुद्गलोने गमन
करती वखते जे निमित्त (उदासीनपणे हाजर) होय तेने
धर्मद्रव्य कहे छे. जेमके – माछलीने माटे पाणी.
३१ प्र. अधर्म द्रव्य कोने कहे छे?
उ. स्वयं गतिपूर्वक स्थिति परिणामने प्राप्त थयेला
जीव अने पुद्गलने स्थिर थती वखते जे निमित्त
(उदासीनपणे हाजर) होय तेने अधर्म द्रव्य कहे छे. जेमके
स्थिर थवा इच्छनार मुसाफरने माटे झाडनो छांयो.
३२ प्र. आकाशद्रव्य कोने कहे छे ?
उ. जे जीवादिक पांचे द्रव्योने रहेवाने माटे जग्या आपे.
३३ प्र. काळ द्रव्य कोने कहे छे ?
उ. पोतपोतानी अवस्थारूपे स्वयं परिणमता
जीवादिक द्रव्योने परिणमन वखते जे निमित्त (उदासीन
हाजर) होय, तेने काळद्रव्य कहे छे. जेम के – कुंभारना
चाकने फरवा टाणे लोढानो खीलो.
३४ प्र. काळना केटला भेद छे ?
उ. बे छेः – एक निश्चयकाळ, बीजो व्यवहारकाळ.
३५ प्र. निश्चयकाळ कोने कहे छे ?
उ. काळद्रव्यने निश्चयकाळ कहे छे.
३६ प्र. व्यवहारकाळ कोने कहे छे ?
उ. काळद्रव्यनी घडी, दिवस, मास आदि पर्यायोने
व्यवहारकाळ कहे छे.
३७ प्र. पर्याय कोने कहे छे ?
उ. गुणना विशेष कार्यने (परिणामने) पर्याय कहे छे.
८ ][ अध्यायः १श्री जैन सिद्धांत प्रवेशिका ][ ९