वळी ते कहे छे के – ‘‘परमेश्वर ए कार्योने करतो होवा छतां पण अकर्ता छे. पण
तेनो निरधार थतो नथी.’’ तेने कहीए छीए के – तुं कहीश के – ‘‘आ मारी माता पण छे अने
वंध्या पण छे’’ — एवुं तारुं कहेवुं कोण साचुं मानशे? जे कार्य करे छे तेने अकर्ता केम
मनाय? वळी तुं कहे छे के ‘‘तेनो निरधार थतो नथी’’ पण निरधार विना मानी लेवुं तो
एवुं ठर्युं के – जेम आकाशने फूल तथा गधेडाने शींगडां होवा मानवां. परंतु एम संभवतुं नथी.
ए प्रमाणे असंभवित कहेवुं युक्त नथी.
ए प्रमाणे तेओ ब्रह्मा – विष्णु – महेशनुं होवुं कहे छे ते मिथ्या जाणवुं.
✾ ब्रÙा – विष्णु – महेशने सृष्टिनां कर्ता, रक्षक अने
संहारकपणानुं निराकरण ✾
वळी ते कहे छे के — ‘‘ब्रह्मा सृष्टिने उपजावे छे, विष्णु रक्षा करे छे तथा महेश
संहार करे छे.’’ एम कहेवुं ए पण संभव नथी, कारण के – आ कार्यो करतां कोई कांई करवा
इच्छे तथा कोई कांई करवा इच्छे त्यारे परस्पर विरोध थाय.
तुं कहीश के – ‘‘ए तो एक ज परमेश्वरनां ज स्वरूप छे, विरोध शा माटे थाय,’’ तो
पोते ज उपजावे अने पोते ज नाश करे एवा कार्योनुं फळ शुं? जो सृष्टि पोताने अनिष्ट
छे तो उपजावी शा माटे? तथा जो इष्ट छे तो तेने नाश करी ए शा माटे? कदापि पहेलां
इष्ट लागी त्यारे उपजावी अने पाछळथी अनिष्ट लागतां तेनो नाश कर्यो, एम होय तो ए
परमेश्वरनो स्वभाव अन्यथा थयो के सृष्टिनुं स्वरूप अन्यथा थयुं? जो प्रथम पक्ष ग्रहण करीश
तो तेथी परमेश्वरनो एक स्वभाव न ठर्यो; ए एक स्वभाव न रहेवानुं कारण शुं ते बताव?
विना कारण एक स्वभावनुं पलटावुं शा माटे होय तथा बीजो पक्ष ग्रहण करीश तो सृष्टि
तो परमेश्वरने आधीन हती तेने एवी ते शा माटे थवा दीधी के – ते पोताने अनिष्ट लागे?
वळी ब्रह्मा सृष्टि उपजावे छे ते केवी रीते उपजावे छे? एक प्रकार तो आ छे
के — ‘‘जेम मंदिर चणवावाळो चूनो – पथ्थर वगेरे सामग्री एकठी करी तेना आकारादिक बनावे
छे, ते ज प्रमाणे सामग्री एकठी करी ब्रह्मा सृष्टिनी रचना करे छे.’’ तो ए सामग्री ज्यांथी
लावी एकठी करी होय ते ठेकाणुं बताव? वळी एक ब्रह्माए ज आटली बधी रचना बनावी
ते आगळ – पाछळ बनावी हशे के पोताना शरीरनां हस्तादि घणां कर्यां हशे? ए केवी रीते
छे ते बताव? जे बतावीश तेमां पण विचार करतां विरुद्धता ज भासशे.
वळी एक प्रकार आ छे के — ‘‘जेम राजा आज्ञा करे ते अनुसार कार्य थाय, तेम
ब्रह्मानी आज्ञाथी सृष्टि नीपजे छे.’’ तो तेणे ए आज्ञा कोने आपी? तथा जेने ते आज्ञा
आपी ते क्यांथी सामग्री लावी केवी रीते रचना करे छे? ते कहे.
वळी एक प्रकार आ छे के — जेम ॠद्धिधारी इच्छा करे ते अनुसार कार्य स्वयं बने
१०६ ][ मोक्षमार्गप्रकाशक
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