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(१२)
अधिकार त्रीजो ४७ थी ७७
संसारदुःख अने मोक्षसुख निरूपण ........... ४७
दुःखनुं मूळ कारण मिथ्यादर्शन, अज्ञान,
असंयम ...................................... ४७
मिथ्यात्वनुं स्वरूप ................................. ४८
मोहजनित विषयअभिलाषा ..................... ४८
उपर कहेल दुःखनी निवृत्तिना उपायोनुं
जूठापणुं ...................................... ४९
दुःखनिवृत्तिनो साचो उपाय ..................... ५१
दर्शनमोहना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ५२
चारित्रमोहथी दुःख अने तेना उपायोनुं
जूठापणुं ...................................... ५४
अंतरायकर्मना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ५८
वेदनीयकर्मना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ५९
आयुकर्मना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ६२
नामकर्मना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ६३
गोत्रकर्मना उदयथी थतुं दुःख अने तेना
उपायोनुं जूठापणुं .......................... ६३
एकेन्द्रिय पर्यायनां दुःख ......................... ६४
विकलेन्द्रिय तथा असंज्ञी पंचेन्द्रिय
पर्यायनां दुःख ...............................६६
नरक अवस्थानां दुःखोनुं वर्णन .................६६
तिर्यंच अवस्थानां दुःखोनुं वर्णन .............. ६८
मनुष्यगतिनां दुःखोनुं वर्णन .................... ६९
देवगतिनां दुःखोनुं वर्णन ........................ ७०
सर्व दुःखोनुं सामान्य स्वरूप ................... ७१
मोक्षसुख अने तेनी प्राप्तिनो उपाय .......... ७३
सिद्ध अवस्थामां दुःखना अभावनी सिद्धि .. ७३
अधिकार चोथो ७८ थी ९५
मिथ्यादर्शन – ज्ञान – चारित्रनुं विशेष
निरूपण ...................................... ७८
मिथ्यादर्शननुं स्वरूप .............................. ७८
प्रयोजनभूत – अप्रयोजनभूत पदार्थ ............. ७९
मिथ्यादर्शननी प्रवृत्ति.............................. ८१
जीव – अजीवतत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान ... ८२
आस्रवतत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान .......... ८४
बंधतत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान .............. ८४
संवरतत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान ............ ८५
निर्जरातत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान .......... ८५
मोक्षतत्त्व संबंधी अयथार्थ श्रद्धान ............. ८५
पुण्य – पाप संबंधी अयथार्थ श्रद्धान ........... ८६
मिथ्याज्ञाननुं स्वरूप ............................... ८६
मिथ्याचारित्रनुं स्वरूप ............................ ८९
इष्ट – अनिष्टनी मिथ्या कल्पना ................. ९०
राग – द्वेषनुं विधान तथा विस्तार .............. ९२
मोहनो महिमा .................................... ९४
अधिकार पांचमो ९६ थी १६७
(अन्यमत निराकरण)
गृहीतमिथ्यात्वनुं निराकरण ...................... ९६
सर्वव्यापी अद्वैतब्रह्ममत निराकरण ............ ९७
सृष्टिकर्तृत्ववादनुं निराकरण .................... १००
जीवोनी चेतनाने ब्रह्मनी चेतना मानवी ... १०२
शरीरादिकनुं मायारूप थवुं ..................... १०२
ब्रह्मा – विष्णु
– महेशने सृष्टिनां कर्ता, रक्षक
अने संहारकपणानुं निराकरण ......... १०६