✾ मोक्षमार्गप्रकाशक ग्रंथनी सार्थकता ✾
आ संसाररूप अटवीमां समस्त जीवो कर्मनिमित्तथी उत्पन्न नाना प्रकारनां दुःखोथी
पीडित थई रह्या छे. वळी त्यां मिथ्या – अंधकार छवाई रह्यो छे, जेथी तेओ तेमांथी छूटवानो मार्ग
पण पामता नथी, परंतु तरफडी तरफडी त्यां ज दुःखने सहन करे छे. एवा जीवोनुं भलुं थवा
अर्थे श्री तीर्थंकर केवळी भगवानरूप सूर्यनो उदय थयो, जेनां दिव्यध्वनिरूप किरणो वडे मुक्त
बनी जाय पण निमित्त दूर थतां तरत पछी सखत – कठण बनी जाय तेम सत्संगना निमित्तमां तो
जे धर्मभाव सहित थई जाय, कोमळ – दयावान थाय. व्रत – संयम धारवो विचारे, धर्मात्मा जीवोथी स्नेह
करवो इच्छे तथा तेमनी सेवा – चाकरी करवा इच्छे, परंतु सत्संग के शास्त्रनुं निमित्त दूर थतां धर्मरहित
क्रूर परिणामी बनी जाय आवा श्रोता माटी समान जाणवा.
५. जेम डांस आखा शरीरमां हरेक जग्याए चटका भरी जीवने दुःखना कारणभूत थाय छे,
तेम सभामां शास्त्रवांचन – उपदेश चालतो होय त्यां अन्य धर्मात्मा जीवोथी द्वेषभाव करी तेमने सभा
वच्चे पण वारंवार अपशब्द बोले. अविनय करे तथा सभाने तेम वक्ताने खेद उपजावे आवा श्रोता
डांस समान जाणवा.
६. जेम जळोने दूधथी भरेला आंचळने लगाडवामां आवे तोपण ते पोताना जातिस्वभावने
लीधे दूधने ग्रहण न करतां मात्र रूधिर ज ग्रहण करे छे तेम कोई श्रोता एवा होय छे के – तेमने
गमे तेटलो रूडो, कोमळ अने सम्यग् धर्मोपदेश करो परंतु ए दुर्बुद्धि मात्र अवगुण ज ग्रहण करे.
तेने एवी श्रद्धा छे के अमे आवो उपदेश तो घणोय सांभळ्यो, कोई अमारुं शुं भलुं करी शके एम
छे, अमारा भाग्यमां हशे ते थशे. आवा परिणामवाळा श्रोता जळो समान जाणवा.
ए प्रमाणे बिलाडा समान, बगला समान, पोपट समान, माटी समान, डांस समान, अने
जळो समान मळी छ प्रकारना मिश्र श्रोताओ छे. तेमां माटी अने पोपट समान श्रोता मध्यम जाणवा
तथा ते सिवाय उपरना आठ मळी बारे प्रकारना अधम श्रोता जाणवा.
हवे गाय, बकरी अने हंस समान त्रण प्रकारना उत्तम श्रोताओ कहे छे.
जेम गाय घास खाईने पण सुंदर दूध आपे छे तेम कोईने अल्प उपदेश आपवा छतां तेने
बहु बहु रुचिपूर्वक अंगीकार करी पोतानुं भलुं करे तथा ए उपदेशथी मने रूडा तत्त्वज्ञाननी प्राप्ति
थई, अहो! मारुं भाग्य! एम समजी ते उपदेशनी तथा उपदेशदातानी वारंवार प्रशंसा करे,
उपदेशदातानो बहु बहु उपकार माने, पोताने पण ते उपदेशलाभथी धन्यरूप समजे. आवा श्रोता गाय
समान जाणवा.
जेम बकरी नीची नमी पोतानो चारो चरे जाय, कोईथी द्वेषभाव न करे, जळाशयमां पाणी
पीवा जाय त्यां ढींचणभेर नमी धीरेथी पाणी पीए पण जळने बगाडे नहि, तेम जे श्रोता सभामां
शांतिपूर्वक बेसे, कोई आडी वात करतो होय तो ते तरफ लक्ष पण न आपे, पुण्यकारक कथनने ग्रहण
करे अने पोताना कामथी ज काम राखे आवा श्रोता बकरी समान जाणवा.
प्रथम अधिकारः पीठबंध प्ररूपक ][ २१