अवस्थानुं पलटावुं पण थई जाय छे. कोई अन्य प्रकृतिओना परमाणु हता ते संक्रमणरूप थई
अन्य प्रकृतिना परमाणु थई जाय छे. वळी कोई प्रकृतिओनो स्थिति वा अनुभाग घणो हतो
तेनुं अपकर्षण थई थोडो थई जाय छे तथा कोई प्रकृतिओनो स्थिति वा अनुभाग थोडो हतो
तेनुं उत्कर्षण थई घणो थई जाय छे. ए प्रमाणे पूर्वे बांधेला परमाणुओनी अवस्था पण
जीवभावनुं निमित्त पामीने पलटाय छे. निमित्त न बने तो न पलटाय, जेमनी तेम रहे. एवी
रीते सत्तारूप कर्मो रहे छे.
कार्य स्वयं बनी जाय छे. एटलो ज अहीं निमित्त
जाय छे. एनुं ज नाम सविपाकनिर्जरा छे. ए प्रमाणे समय समय उदय थई कर्मो खरी जाय
छे. कर्मपणुं नाश पामतां ते परमाणु ते ज स्कंधमां रहो वा जुदा थई जाओ, एनुं कांई प्रयोजन
ज नथी.
होय ते सर्वमां क्रमथी उदय आवे छे. वळी घणा समयमां बांधेला परमाणु के जे एक
समयमां उदय आववा योग्य छे ते बधा एकठा थई उदय आवे छे, ते सर्व परमाणुओनो
अनुभाग मळतां जेटलो अनुभाग थाय तेटलुं फळ ते काळमां नीपजे छे, वळी अनेक समयोमां
बांधेला परमाणु बंधसमयथी मांडी उदयसमय सुधी कर्मरूप अस्तित्वने धारी जीवथी संबंधरूप
रहे छे. ए प्रमाणे कर्मोनी बंध, उदय, सत्तारूप अवस्था जाणवी. त्यां समये समये एक
समयप्रबद्धमात्र परमाणु बंधाय छे, एक समयप्रबद्धमात्र निर्जरे छे तथा दोढगुणहानिवडे
गुणित समयप्रबद्धमात्र सदाकाळ सत्तामां रहे छे. ए सर्वनुं विशेष वर्णन आगळ कर्म