✾ ज्ञान – दर्शनोपयोगादिनी प्रवृत्ति ✾
उपर प्रमाणे ज्ञान – दर्शननो सद्भाव ज्ञानावरण – दर्शनावरणना क्षयोपशम अनुसार होय
छे. ज्यारे क्षयोपशम थोडो होय त्यारे ज्ञान – दर्शननी शक्ति पण थोडी होय छे. तथा ज्यारे
घणो होय त्यारे घणी होय छे. वळी क्षयोपशमथी शक्ति तो एवी बनी रहे पण परिणमन
द्वारा एक जीवने एक काळमां कोई एक ज विषयनुं देखवुं वा जाणवुं थाय छे, ए परिणमननुं
नाम ज उपयोग छे. हवे एक जीवने एक काळमां कां तो ज्ञानोपयोग होय छे वा दर्शनोपयोग
होय छे. वळी एक उपयोगनी पण एक ज भेदरूप प्रवृत्ति होय छे. जेम मतिज्ञान होय त्यारे
अन्य ज्ञान न होय. वळी एक भेदमां पण कोई एक विषयमां ज प्रवृत्ति होय छे. जेम स्पर्शने
जाणतो होय ते वेळा रसादिकने न जाणे. वळी एक विषयमां पण तेना कोई एक अंगमां ज
प्रवृत्ति होय छे. जेम ऊष्ण स्पर्शने जाणतो होय ते वेळा रुक्षादिने न ज जाणे. ए प्रमाणे
एक जीवने एक काळमां कोई एक ज्ञेय वा द्रश्यमां ज्ञान वा दर्शननुं परिणमन होय छे. एम
ज जोवामां आवे छे. — ज्यारे सांभळवामां उपयोग लाग्यो होय त्यारे नेत्रनी समीप रहेलो
पदार्थ पण देखातो नथी. ए ज प्रमाणे अन्य प्रवृत्ति पण जोवामां आवे छे.
वळी ए परिणमनमां शीघ्रता घणी छे तेथी कोई वेळा एवुं मानी ले छे के – अनेक
विषयोनुं युगपत् जाणवुं – देखवुं पण थाय छे, पण ते युगपत् पण थतुं नथी, क्रमपूर्वक ज थाय
छे. संस्कारबळथी तेनुं साधन रहे छे. जेम कागडाना नेत्रमां बे गोलक छे पण पूतळी एक
छे. ए एटली बधी शीघ्र फरे छे के जे वडे ते बंने गोलकनुं साधन करे छे. ते ज प्रमाणे
आ जीवने द्वार तो अनेक छे अने उपयोग एक छे, पण ए एटलो बधो शीघ्र फरे छे जे
वडे सर्व द्वारोनुं साधन रहे छे.
प्रश्नः — जो एक काळमां एक ज विषयनुं जाणवुं – देखवुं थाय छे तो क्षयोपशम
पण एटलो ज थयो कहो, घणो शा माटे कहो छो? वळी तमे कहो छो के क्षयोपशमथी
शक्ति होय छे, पण शक्ति तो आत्मामां केवळज्ञान{दर्शननी होय छे.
उत्तरः — जेम कोई पुरुषने घणा गामोमां गमन करवानी शक्ति तो छे, पण तेने
कोईए रोक्यो अने कह्युं के – आ पांच गामोमां ज जाओ अने ते पण एक दिवसमां कोई एक
ज गाममां जाओ. हवे ते पुरुषमां द्रव्य अपेक्षाए घणा गामोमां जवानी शक्ति तो छे, अन्य
काळमां तेनुं सामर्थ्य थशे, पण ते वर्तमान सामर्थ्यरूप नथी. वर्तमानमां तो पांच गामोथी अधिक
गामोमां ते गमन करी शकतो नथी. वळी पांच गामोमां जवानी सामर्थ्यरूप शक्ति वर्तमानमां
पर्याय अपेक्षाए छे. तेथी ते तेटलामां ज गमन करी शके छे. अने गमन करवानी व्यक्तता
एक दिवसमां एक गामनी ज होय छे. तेम आ जीवमां सर्वने देखवा – जाणवानी शक्ति तो
छे, पण तेने कर्मोए रोक्यो, अने क्षयोपशम एटलो ज थयो के – स्पर्शादिक विषयोने जाणो वा
बीजो अधिकारः संसार-अवस्था निरूपण ][ ३९