ज छे. ते केवी रीते ते अहीं कहीए छीए.
रह्या करे छे. जेम कोई बहावराने कोईए वस्त्र पहेराव्युं, ते बहावरो ते वस्त्रने पोतानुं अंग
जाणी पोताने, शरीरने अने वस्त्रने एकरूप माने छे, पण ए वस्त्र तो पहेरावनारने आधीन
छे. ए पहेरावनार कोई वेळा ते वस्त्रने फाडे, कोई वेळा जोडे, कोई वेळा लई ले तथा कोई
वेळा नवीन पहेरावे, इत्यादि चरित्र करे त्यारे आ बहावरो ए वस्त्रनी पराधीन क्रिया थवा
छतां तेने पोताने आधीन मानी महा खेदखिन्न थाय छे. तेम आ जीवने कर्मोदयथी शरीरनो
संबंध थयो छे.
नष्ट थाय अने कोई वेळा नवीन उपजे, इत्यादि चरित्र थाय छे. ए प्रमाणे तेनी पराधीन
क्रिया थवा छतां तेने पोताने आधीन मानी महा खेदखिन्न थाय छे. वळी जेम कोई बहावरो
बेठो हतो त्यां कोई अन्य ठेकाणेथी माणस, घोडा अने धनादिक आवी ऊतर्या, ते सर्वने
आ बहावरो पोतानां जाणवा लाग्यो, पण ए बधां पोतपोताने आधीन होवाथी तेमां कोई
आवे, कोई जाय अने कोई अनेक अवस्थारूप परिणमे
ज्यां पर्याय (शरीर) धारण करे छे त्यां कोई अन्य ठेकाणेथी पुत्र, घोडा अने धनादिक आवीने
स्वयं प्राप्त थाय छे तेने आ जीव पोताना जाणे छे, पण ए तो पोतपोताने आधीन कोई
आवे, कोई जाय तथा कोई अनेक अवस्थारूप परिणमे
आभास थाय, परंतु ए बधाय सर्व प्रकारे (किंचित् पण) ए इच्छे तेम तो परिणमतां नथी