आयुकर्मना उदयथी ए एकेन्द्रिय जीवोमां जे अपर्याप्त जीवो छे तेमना पर्यायनी स्थिति
तो एक उच्छ्वासना अढारमा भागमात्र ज छे अने पर्याप्त जीवोनी स्थिति एक अंतर्मुहूर्त
आदि केटलांक वर्ष सुधीनी छे. तेमने आयुष्य थोडुं होवाथी जन्म-मरण थयां ज करे छे, जेथी
तेओ दुःखी छे.
नामकर्मना उदयमां तिर्यंचगति आदि पाप – प्रकृतिओनो ज उदय विशेषपणे तेमने होय
छे. कोईक हीन पुण्य – प्रकृतिनो उदय तेमने होय पण तेनुं बळवानपणुं नथी तेथी ए वडे करीने
मोहवशपणे तेओ दुःखी थाय छे.
गोत्रकर्ममां मात्र एक नीच गोत्रनो ज तेमने उदय छे, तेथी तेमनी महत्ता कांई थती
नथी; तेथी पण तेओ दुःखी ज छे.
ए प्रमाणे एकेन्द्रिय जीवो महादुःखी छे. आ संसारमां जेम पाषाणने आधार होय
तो त्यां घणो काळ रहे छे पण निराधार आकाशमां तो कदाचित् किंचित्मात्र काळ रहे छे;
तेम आ जीव एकेन्द्रिय पर्यायमां तो घणो काळ रहे छे, पण अन्य पर्यायमां कदाचित्
किंचित्मात्र काळ रहे छे. माटे आ जीव संसार-अवस्थामां महादुःखी छे.
✾ विकलेन्द्रिय तथा असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्यायनां दुःख ✾
वळी बेईन्द्रिय, तेईन्द्रिय, चौरिन्द्रिय अने असंज्ञी पंचेन्द्रिय पर्यायोने जीव धारण करे
छे. त्यां पण एकेन्द्रिय पर्याय जेवां ज दुःख होय छे. विशेषमां एटलुं के — अहीं क्रमपूर्वक
एक एक इन्द्रियजनित ज्ञान – दर्शननी वा कंईक शक्तिनी अधिकता थई छे तथा बोलवा –
चालवानी शक्ति पण प्राप्त थई छे. तेमां पण जे अपर्याप्त छे वा पर्याप्त छतां पण हीनशक्तिना
धारक नाना जीवो छे तेमनी शक्ति तो प्रगट थती नथी, पण केटलाक पर्याप्त अने घणी शक्तिना
धारक मोटा जीवो छे तेमनी शक्ति प्रगट होय छे. तेथी ते जीवो विषयोने प्राप्त करवानो तथा
दुःख दूर थवानो उपाय करे छे. क्रोधादिकथी कापवुं, मारवुं, लडवुं, छळ करवो, अन्नादिकनो
संग्रह करवो, भागी जवुं, दुःखथी तडफडाट करवो अने पोकार करवो इत्यादि कार्य तेओ करे
छे, माटे तेमनां दुःख कंईक प्रगट पण थाय छे. लट, कीडी वगेरे जीवोने शीत, उष्ण, छेदन,
भेदन वा भूख
– तरस आदि वडे परम दुःखी जोईए छीए. ए सिवाय बीजां दुःखो पण
जे प्रत्यक्ष देखाय छे तेनो विचार वाचके करी लेवो. अहीं वधारे शुं लखीए?
ए प्रमाणे बेइन्द्रियादि जीवो पण महादुःखी जाणवा.
✾ नरक अवस्थानां दुःखोनुं वर्णन ✾
संज्ञी पंचेन्द्रियोमां नरकना जीवो छे ते तो सर्व प्रकारे महादुःखी छे. तेमनामां
ज्ञानादिकनी शक्ति कंईक छे, पण विषयोनी इच्छा घणी होवाथी तथा इष्ट विषयोनी सामग्री
६६ ][ मोक्षमार्गप्रकाशक
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