Moksha Marg Prakashak-Gujarati (Devanagari transliteration). Sarva Dukhonu Samanya Swaroop.

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होई शकतो नथी. एटलो बधो काळ ए देवो विषयसुखमां मग्न रहे छे. नामकर्ममां देवगति
आदि सर्व पुण्य
प्रकृतिओनो ज तेमने उदय छे तेथी ए तेमने सुखनुं कारण छे. गोत्रकर्ममां
तेमने उच्च गोत्रनो ज उदय छे तेथी तेओ महानपणाने प्राप्त छे.
ए प्रमाणे पुण्यउदयनी विशेषतावडे तेमने इष्ट सामग्री मळी छे अने कषायो वडे
इच्छा होवाथी तेने भोगववामां तेओ आसक्त बनी रह्या छे; एम छतां पण इच्छा तो
अधिक ज रहे छे तेथी तेओ सुखी थता नथी. ऊंचा देवोने उत्कृष्ट पुण्यनो उदय छे अने
कषाय घणा मंद छे, तथापि तेमने पण इच्छानो अभाव थतो नथी तेथी वस्तुताए तेओ
दुःखी ज छे. ए प्रमाणे संसारमां सर्वत्र केवळ दुःख, दुःख अने दुःख ज छे.
सर्व दुःखोनुं सामान्य स्वरुप
ए प्रमाणे पर्याय अपेक्षाए दुःखनुं वर्णन कर्युं.
हवे सर्व दुःखनुं सामान्य स्वरूप कहीए छीए. दुःखनुं लक्षण आकुळता छे अने
आकुळता इच्छा थतां थाय छे तथा संसारी जीवोने अनेक प्रकारनी इच्छा होय छे.
इच्छाओ चार प्रकारनी छेः
एक तो विषयग्रहणनी इच्छा होय छे अर्थात् तेने देखवाजाणवा इच्छे छे. जेम
वर्ण देखवानी, राग सांभळवानी तथा अव्यक्तने जाणवा आदिनी इच्छा थाय छे. त्यां बीजी
कांई पीडा नथी, परंतु ज्यांसुधी देखे
जाणे नहि त्यांसुधी ते महाव्याकुळ थाय छे. ए इच्छानुं
नाम विषय छे.
एक इच्छा कषायभावो अनुसार कार्य करवानी होय छे, जेथी ते कार्य करवा इच्छे
छे. जेम बूरुं करवानी, हीन करवानी इत्यादि इच्छा थाय छे. हवे अहीं पण बीजी तो कांई
पीडा नथी, परंतु ज्यांसुधी ए कार्य न थाय त्यांसुधी ते महाव्याकुळ थाय छे. ए इच्छानुं
नाम कषाय छे.
एक इच्छा पापना उदयथी शरीरमां अथवा बाह्य अनिष्ट कारण मळतां तेने दूर
करवानी थाय छे. जेमकरोग, पीडा अने क्षुधा आदिनो संयोग थतां तेने दूर करवानी इच्छा
थाय छे. हवे त्यां ते पीडा माने छे, तेथी ज्यांसुधी ए दूर न थाय त्यांसुधी महाव्याकुळ
रहे छे. ए इच्छानुं नाम पापनो उदय छे.
ए प्रमाणे ए त्रण प्रकारनी इच्छा थतां बधा दुःख ज माने छे, अने ते दुःख ज
छे.
त्रीजो अधिकारः संसारदुःख अने मोक्षसुख निरूपण ][ ७१