अनेक प्रकारनी होय छे. त्यां कोई प्रकारनी इच्छा पूर्ण करवानां कारणो पुण्यना उदयथी मळे,
पण तेनुं साधन युगपत् थई शके नहि तेथी एकने छोडी बीजाने लागे तथा तेने छोडी कोई
अन्यने लागे. जेम कोईने अनेक प्रकारनी सामग्री मळी छे; हवे ते कोईने देखे छे. तेने छोडी
राग सांभळवा लागे छे, तेने छोडी कोईनुं बूरुं करवा लागी जाय छे तथा तेने छोडी भोजन
करवा लागी जाय छे. अथवा देखवामां पण एकने देखी वळी अन्यने देखवा लागे छे ए
ज प्रमाणे अनेक कार्योनी प्रवृत्तिमां इच्छा थाय छे. ए इच्छानुं नाम पुण्यनो उदय छे.
प्रकारनी इच्छा पूर्ण थवानां कारणो बनी आवे तोपण ते सर्वनुं युगपत् साधन थई शकतुं
नथी, तेथी ज्यांसुधी एकनुं साधन न होय त्यांसुधी तेनी व्याकुळता रहे छे, अने एनुं साधन
थतां ते ज समये अन्यना साधननी इच्छा थाय छे, त्यारे वळी तेनी व्याकुळता थाय छे. एक
समय पण निराकुळ रहेतो नथी तेथी ते महादुःखी ज छे. अथवा ज्यारे ए त्रण प्रकारना
इच्छारोग मटाडवानो किंचित् उपाय करे छे त्यारे किंचित् दुःख घटे छे, परंतु सर्व दुःखनो
नाश तो थतो ज नथी, तेथी तेने दुःख ज छे. ए प्रमाणे संसारी जीवोने सर्व प्रकारे दुःख
ज छे.
बंध धर्मानुरागथी थाय छे. हवे धर्मानुरागमां जीव थोडो जोडाय छे पण घणो भाग तो
पापक्रियाओमां ज प्रवर्ते छे, तेथी चोथी इच्छा कोई जीवने कोई काळमां ज थाय छे.
इच्छावाळानी अपेक्षाए तेथी महान इच्छावाळो चोथी इच्छा होवा छतां पण दुःखी ज छे.
व्याकुळतावान छे, अथवा कोईने अनिष्ट सामग्री मळवा छतां जो तेने दूर करवानी इच्छा
घणी थोडी छे, तो ते थोडो व्याकुळतावान छे तथा कोईने इष्ट सामग्री मळवा छतां जो तेने
भोगववानी वा अन्य सामग्रीनी घणी इच्छा छे तो ते घणो व्याकुळतावान छे;