Moksha-Marg Prakashak (Hindi). Parishisht 1 - Samadhi MaraN Swaroop.

< Previous Page   Next Page >


Page 330 of 350
PDF/HTML Page 358 of 378

 

background image
-
३४० ] [ मोक्षमार्गप्रकाशक
परिशिष्ट १
समाधिमरण स्वरूप
[ पंडितप्रवर टोडरमलजीके सुपुत्र पंडित गुमानीरामजी द्वारा रचित ]
[आचार्य पं० टोडरमलजीके सहपाठी और धर्मप्रभावनामें उत्साहप्रेरक ब्र० राजमलजी कृत
‘‘ज्ञानानंद निर्भर निजरस श्रावकाचार’’ नामक ग्रंथमेंसे यह अधिकार बहुत सुन्दर जानकर आत्मधर्म
अंक २५३-५४में दिया था। उसीमेंसे शुरूका अंश यहाँ दिया जाता है।]
हे भव्य! तू सून! अब समाधिमरणका लक्षण वर्णन किया जाता है। समाधि नाम निःकषायका
है, शान्त परिणामोंका है; भेदविज्ञानसहित, कषायरहित शान्त परिणामोंसे मरण होना समाधिमरण है।
संक्षिप्तरूपसे समाधिमरणका यही वर्णन है। विशेषरूपसे कथन आगे किया जा रहा है।
सम्यग्ज्ञानी पुरुषका यह सहज स्वभाव ही है कि वह समाधिमरणकी ही इच्छा करता है,
उसकी हंमेशा यही भावना रहती है। अन्तमें मरण समय निकट आने पर वह इसप्रकार सावधान
होता है, जिसप्रकार वह सोया हुआ सिंह सावधान होता है
जिसको कोई पुरुष ललकारे कि ‘‘हे
सिंह! तुम्हारे पर बैरियों की फौज आक्रमण कर रही है, तुम पुरुषार्थ करो और गुफा से बाहर
निकलो। जब तक बैरियोंका समूह दूर है तब तक तुम तैयार हो जाओ और बैरियोंकी फौजको
जीत लो। महान् पुरुषोंकी यही रीति है कि वे शत्रुके जागृत होनेसे पहले तैयार होते हैं।’’
उस पुरुषके ऐसे वचन सुनकर शार्दूल तत्क्षण ही उठा और उसने ऐसी गर्जना की कि
मानों आषाढ़ मासमें इन्द्रने ही गर्जनाकी हो।
मृत्युको निकट जानकर सम्यग्ज्ञानी पुरुष सिंहकी तरह सावधान होता है और कायरपनेको
दूरसे ही छोड़ देता है।
सम्यग्दृष्टि कैसा है?
उसके हृदयमें आत्माका स्वरूप दैदीप्यमान प्रगटरूपसे प्रतिभासता है। वह ज्ञानज्योतिके लिये
आनन्दरससे परिपूर्ण है। वह अपनेको साक्षात् पुरुषाकार, अमूर्तिक, चैतन्यधातुका पिंड, अनन्त अक्षय
गुणोंसे युक्त चैतन्यदेव ही जानता है। उसके अतिशयसे ही वह परद्रव्यके प्रति रंचमात्र भी रागी
नहीं होता।
सम्यग्दृष्टि रागी क्यों नहीं होता?
वह अपने निजस्वरूपको ज्ञाता, दृष्टा, परद्रव्योंसे भिन्न, शाश्वत और अविनाशी जानता है
और परद्रव्यको तथा रागादिकको क्षणभंगुर, अशाश्वत, अपने स्वभावसे भलीभाँति भिन्न जानता है।
इसलिये सम्यग्ज्ञानी कैसे डरे?.........
१ क्रोध, मान, माया और लोभ ये चार कषाय हैं।