Natak Samaysar (Gujarati).

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પદ્યોની વર્ણાનુક્રમણિકા ૪૨૭
પદ્ય
પૃષ્ઠ
પદ્ય
પૃષ્ઠ
करम पिंड अरु रागभाव
९१
क्रिया एक करता जुगल
२५३
करम–भरम जग–तिमिर–हरन
कीचसौ कनक जाकै नीचसौ
१८४
करम सुभासुभ दोइ
१०२ कुगुरु कुदेव कुधर्म धर
३७७
कर्मजाल–जोग हिंसा
१७६ कुंजरकौं देखि जैसैं रोस करि
१८७
कर्मजाल–वर्गनाकौं वास
१७५ कुटिल कुरुप अंग लगी है
२७९
कर्मजाल–वर्गनासौं जगमैं
१७४ कुंदकुंद नाटक विषै
३१२
कर्मनिकौ करता है भोगनिकौ
२४४ कुंदकुंद मुनिराज प्रवीना
३०६
करुना वच्छल सुजनता
३७६ कुंदकुंदाचारिज प्रथम गाथाबद्ध
४४१
करै और फल भोगवै
२५३ कुबिजा कारी कूबरी
२७९
करै करम सोई करतारा
९० कुमती बाहिज द्रिष्टिसौं
३०३
कलपित बात हियै नहीं आनै
४१२ कुलकौ आचार ताहि मूरख धरम
१८१
कलावंत कोविद कुसल
२२ कृपा प्रसम संवेग दम
३४६
कही निरजराकी कथा
१७२ केई उदास रहैं प्रभु कारन
२०४
कहै अनातमकी कथा
२५९ केई कहैं जीव क्षनभंगुर
२६१
कहै विचच्छन पुरुष सदामें एकहौं
५० केई क्रूर कष्ट सहैं तपसौं सरीर
१४३
कहै विचच्छन मैं रह्यौ
२९३ केई जीव समकित पाई अर्ध
३७४
कहै सुगुरु जो समकिती
२०५ केई मिथ्याद्रिष्टी जीव धरै
३०१
कहौं दसम गुनथान दुसाखा
४०० केई मूढ़ विकल एकंत पच्छ गहैं
२५४
कहौं मुकित–पदकी कथा
३१२ केवलग्यान निकट जहँ आवै
४०१
कहौं सुद्ध निहचै कथा
१३
कै अपनौं पद आप संभारत
४१
कह्यौ प्रथम गुनथान यह
३७१ कै तौ सहज सुभाउकै
३७५
काच बांधै सिरसौं सुमनि बांधै
१७८ कोऊ अज्ञ कहै ज्ञेयाकार
३२३
काज विना न करै जिय उद्यम
१४४ कोऊ अनुभवी जीव कहै
२१८
काया चित्रसारीमैं करम परजंक
१३८ कोऊ एक छिनवादी कहै
३३०
कायासौं विचारै प्रीति मायाहीसौं
२५९ कोऊ कुधी कहै ग्यान मांहि
३२२
काहू एक जैनी सावघान वै परम
२१३ कोऊ क्रुर कहै काया जीव
३२६
किये अवस्थामें प्रगट
३४९ कोऊ ग्यानवान कहै ग्यान तौ
३५६