अलमलमतिविस्तरेण । स्वस्ति साक्षादस्मै विवरणाय ।
[श्लोकार्थः — ] भव्योना मोक्षने माटे तेम ज निज आत्मानी शुद्धिने अर्थे नियमसारनी ‘तात्पर्यवृत्ति’ नामनी टीका हुं कहीश. ४.
वळी —
[श्लोकार्थः — ] गुणना धरनार गणधरोथी रचायेला अने श्रुतधरोनी परंपराथी सारी रीते व्यक्त करायेला आ परमागमना अर्थसमूहनुं कथन करवाने अमे मंदबुद्धि ते कोण? ५.
तथापि —
[श्लोकार्थः — ] हमणां अमारुं मन परमागमना सारनी पुष्ट रुचिथी फरी फरीने अत्यंत प्रेरित थाय छे. [ए रुचिथी प्रेरित थवाने लीधे ‘तात्पर्यवृत्ति’ नामनी आ टीका रचाय छे.] ६.
[श्लोकार्थः — ] सूत्रकारे पूर्वे पांच अस्तिकाय, छ द्रव्य, सात तत्त्व अने नव पदार्थ तेम ज प्रत्याख्यानादि सत्क्रिया कहेल छे (अर्थात् भगवान कुंदकुंदाचार्यदेवे आ शास्त्रमां प्रथम पांच अस्तिकाय वगेरे अने पछी प्रत्याख्यानादि सत्क्रिया कहेल छे). ७.
अति विस्तारथी बस थाओ, बस थाओ. साक्षात् आ विवरण जयवंत वर्तो.