Niyamsar (Hindi). Adhikar-6 : Nishchay Pratyahkhyan Adhikar Gatha: 95.

< Previous Page   Next Page >


Page 181 of 388
PDF/HTML Page 208 of 415

 

निश्चय-प्रत्याख्यान अधिकार

अथेदानीं सकलप्रव्रज्यासाम्राज्यविजयवैजयन्तीपृथुलदंडमंडनायमानसकलकर्मनिर्जराहेतु- भूतनिःश्रेयसनिश्रेणीभूतमुक्ति भामिनीप्रथमदर्शनोपायनीभूतनिश्चयप्रत्याख्यानाधिकारः कथ्यते तद्यथा

अत्र सूत्रावतारः
मोत्तूण सयलजप्पमणागयसुहमसुहवारणं किच्चा
अप्पाणं जो झायदि पच्चक्खाणं हवे तस्स ।।9।।
मुक्त्वा सकलजल्पमनागतशुभाशुभनिवारणं कृत्वा
आत्मानं यो ध्यायति प्रत्याख्यानं भवेत्तस्य ।।9।।

अब निम्नानुसार निश्चय-प्रत्याख्यान अधिकार कहा जाता हैकि जो निश्चयप्रत्याख्यान सकल प्रव्रज्यारूप साम्राज्यकी विजय-ध्वजाके विशाल दंडकी शोभा समान है, समस्त कर्मोंकी निर्जराके हेतुभूत है, मोक्षकी सीढ़ी है और मुक्तिरूपी स्त्रीके प्रथम दर्शनकी भेंट है वह इसप्रकार है :

यहाँ गाथासूत्रका अवतरण किया जाता है :

गाथा : ९५ अन्वयार्थ :[सकलजल्पम् ] समस्त जल्पको (वचन- विस्तारको) [मुक्त्वा ] छोड़कर और [अनागतशुभाशुभनिवारणं ] अनागत शुभ-अशुभका

भावी शुभाशुभ छोड़कर, तजकर वचन विस्तार रे
जो जीव ध्याता आत्म, प्रत्याख्यान होता है उसे ।।९५।।