Niyamsar (Hindi). Adhikar-6 : Nishchay Pratyahkhyan Adhikar Gatha: 95.

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अब निम्नानुसार निश्चय-प्रत्याख्यान अधिकार कहा जाता हैकि जो
निश्चयप्रत्याख्यान सकल प्रव्रज्यारूप साम्राज्यकी विजय-ध्वजाके विशाल दंडकी शोभा
समान है, समस्त कर्मोंकी निर्जराके हेतुभूत है, मोक्षकी सीढ़ी है और मुक्तिरूपी स्त्रीके प्रथम
दर्शनकी भेंट है
वह इसप्रकार है :
यहाँ गाथासूत्रका अवतरण किया जाता है :
गाथा : ९५ अन्वयार्थ :[सकलजल्पम् ] समस्त जल्पको (वचन-
विस्तारको) [मुक्त्वा ] छोड़कर और [अनागतशुभाशुभनिवारणं ] अनागत शुभ-अशुभका
निश्चय-प्रत्याख्यान अधिकार
अथेदानीं सकलप्रव्रज्यासाम्राज्यविजयवैजयन्तीपृथुलदंडमंडनायमानसकलकर्मनिर्जराहेतु-
भूतनिःश्रेयसनिश्रेणीभूतमुक्ति भामिनीप्रथमदर्शनोपायनीभूतनिश्चयप्रत्याख्यानाधिकारः कथ्यते
तद्यथा
अत्र सूत्रावतारः
मोत्तूण सयलजप्पमणागयसुहमसुहवारणं किच्चा
अप्पाणं जो झायदि पच्चक्खाणं हवे तस्स ।।9।।
मुक्त्वा सकलजल्पमनागतशुभाशुभनिवारणं कृत्वा
आत्मानं यो ध्यायति प्रत्याख्यानं भवेत्तस्य ।।9।।
भावी शुभाशुभ छोड़कर, तजकर वचन विस्तार रे
जो जीव ध्याता आत्म, प्रत्याख्यान होता है उसे ।।९५।।