Niyamsar (Hindi). Adhikar-2 : ajiv adhikAr Gatha: 20.

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अजीव अधिकार
अथेदानीमजीवाधिकार उच्यते
अणुखंधवियप्पेण दु पोग्गलदव्वं हवेइ दुवियप्पं
खंधा हु छप्पयारा परमाणू चेव दुवियप्पो ।।२०।।
अणुस्कन्धविकल्पेन तु पुद्गलद्रव्यं भवति द्विविकल्पम्
स्कन्धाः खलु षट्प्रकाराः परमाणुश्चैव द्विविकल्पः ।।२०।।
पुद्गलद्रव्यविकल्पोपन्यासोऽयम्
पुद्गलद्रव्यं तावद् विकल्पद्वयसनाथम्, स्वभावपुद्गलो विभावपुद्गलश्चेति तत्र
अब अजीव अधिकार कहा जाता है
गाथा : २० अन्वयार्थ :[अणुस्कन्धविकल्पेन तु ] परमाणु और स्कन्ध
ऐसे दो भेदसे [पुद्गलद्रव्यं ] पुद्गलद्रव्य [द्विविकल्पम् भवति ] दो भेदवाला है;
[स्कन्धाः ] स्कन्ध [खलु ] वास्तवमें [षट्प्रकाराः ] छह प्रकारके हैं [परमाणुः च एव
द्विविकल्पः ]
और परमाणुके दो भेद हैं
टीका :यह, पुद्गलद्रव्यके भेदोंका कथन है
प्रथम तो पुद्गलद्रव्यके दो भेद हैं : स्वभावपुद्गल और विभावपुद्गल उनमें,
परमाणु एवं स्कन्ध हैं दो भेद पुद्गलद्रव्यके
है स्कन्ध छै विधि और द्विविध विकल्प है परमाणुके ।।२०