Niyamsar (Hindi).

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बहिनश्री चम्पाबहिनके भाई विद्वान् श्री हिम्मतभाईको पूज्य गुरुदेवने नियमसारका गुजराती
गद्यपद्यानुवाद करनेकी कृपाभीनी प्रेरणा दी
अध्यात्मरसिक श्री हिम्मतभाईने पूज्य
गुरुदेवश्रीकी प्रेरणाको झेलकर, समयसार एवं प्रवचनसारकी तरह अल्प समयमें यह अनुवाद
कार्य सुचारुतया सम्पन्न किया
गुजराती अनुवाद प्रकाशित होनेके पश्चात् पूज्य गुरुदेवश्रीने
इस नियमसार परमागमशास्त्र पर अनेक बार प्रवचन दिये और अध्यात्मप्रेमी समाजके समक्ष
उसके परमपारिणामिकभावप्रधान गहन रहस्योंका उद्घाटन किया
इस प्रकार पूज्य गुरुदेवश्री
द्वारा इसकी अधिक प्रसिद्धि हुई वास्तवमें इस शताब्दीमें अध्यात्मरुचिके नवयुगका प्रवर्तन
कर मुमुक्षुसमाज पर पूज्य गुरुदेवने असाधारण महान उपकार किया है
नियमसारके गुजराती अनुवादके गद्यांशका एवं पद्यांशका हिन्दी रूपान्तर अनुक्रमसे
श्री मगनलालजी जैन (सोनगढ़) एवं श्री जुगलकिशोरजी, एम. ए. साहित्यरत्न (कोटा,
राजस्थान)ने संपन्न किया है
एतदर्थ संस्था उन दोनों महानुभावोंका आभार मानती है
तदिरिक्त प्रस्तुत षष्ठ संस्करणका मुद्रण संशोधन ब्र. चंदुभाई झोबाळिया, श्री प्रवीणभाई
साराभाई शाह, ब्र. व्रजलालभाई शाह (वढ़वाण) तथा श्री अनंतराय व्रजलाल शाह
(जलगांव) और सुन्दर मुद्रणकार्य ‘कहान मुद्रणालय’के मालिक श्री ज्ञानचंदजी जैन एवं
उनके सुपुत्र चि० निलयने किया है
तदर्थ उनके प्रति भी संस्था कृतज्ञता व्यक्त करती है
मुमुक्षु जीव सद्गुरुगमसे अति बहुमानपूर्वक इस परमागमका अभ्यास करके उसके
गहन भावोंको आत्मसात् करें और शास्त्रके तात्पर्यभूत परमवीतरागभावको प्राप्त करेंयही
कामना
वि. सं. २०६५
पूज्य बहिनश्रीका ९६वाँ
जन्मोत्सव
दि. ७-८-२००९
[ ६ ]
साहित्यप्रकाशनसमिति,
श्री दि० जैन स्वाध्यायमंदिर ट्रस्ट,
सोनगढ़३६४२५० (सौराष्ट्र)