Padmanandi Panchvinshati-Gujarati (Devanagari transliteration).

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धर्मोपदेशामृत-पाननी प्रेरणा .......................................................... १९८ ...................... ९७
२. दानोपदेशना
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९९१२२
व्रत-तीर्थना प्रवर्तक आदि जिनेन्द्र अने दान-तीर्थना प्रवर्तक
श्रेयांस राजानुं स्मरण .............................................................. १ ...................... ९९.
श्रेयांस राजानी प्रशंसा ..................................................................... २-३ ................. १००
लोभी जीवोना उद्धार अर्थे दानोपदेशनी प्रतिज्ञा ................................... ४ .................... १०१
सत्पात्रदान मोहनो नाश करीने मनुष्यने सद्गृहस्थ बनावे छे ................ ५-६ ................. १०१
धननी सफळता दानमां छे ................................................................ ७ .................... १०२
सत्पात्रदानथी द्रव्य वडना बीज समान वधे ज छे ................................ ८ .................... १०३
भक्तिथी आपवामां आवेलुं दान दाता अने पात्र बन्नेने

माटे हितकर थाय छे............................................................... ९ .................... १०३
दाननो महिमा ............................................................................... १०-१६ ...... १०३-१०६
सत्पात्रदान विना गृहस्थ जीवन निष्फळ छे ......................................... १७ ...................१०६
दान विना वैभवनी निष्फळतानां उदाहरण ........................................... १८ .................. १०७
दान वशीकरण मंत्र समान छे .......................................................... १९ .................. १०७
दानजनित पुण्यनी राज्य लक्ष्मी साथे तुलना ....................................... २० .................. १०७
दान विना मनुष्यभवनी विफळता ....................................................... २१-२२............. १०८
दान रहित वैभवनी अपेक्षाए तो निर्धनता ज श्रेष्ठ छे ......................... २३ .................. १०९
दान विना गृहस्थाश्रमनी व्यर्थता ....................................................... २४-२५............. १०९
सत्पात्रदान परलोकयात्रामां नाश्ता समान छे ....................................... २६ .................. ११०
दाननो संकल्प मात्र पण पुण्यवर्धक छे ............................................... २७ .................. ११०
पात्र आवतां दानादिथी तेनुं सन्मान न करवुं ए अशिष्टता छे ............... २८ .................. ११०
दान विनानो दिवस पुत्रना मृत्युदिनथी पण खराब छे .......................... २९ .................. १११
धर्मना निमित्ते थता सर्व विकल्पो दानथी ज सफळ थाय छे................... ३० .................. १११
दान विना पण पोताने दानी तरीके प्रगट करनार महान

दुःखनुं पात्र थाय छे ............................................................... ३१ .................. ११२
पोतानी सम्पत्ति अनुसार गृहस्थे थोडुं घणुं दान देवुं जोईए ................. ३२ .................. ११२
दाननी अनुमोदनाथी मिथ्याद्रष्टि पशु पण उत्तम भोगभूमि प्राप्त करे छे . ३३ .................. ११३
दानरहित मनुष्यना अविवेकनुं उदाहरण .............................................. ३४-३६ ......११३-११४
जे धन दानना उपयोगमां आवे छे ते ज धन वास्तवमां पोतानुं छे ....... ३७ .................. ११५
धननो क्षय पुण्यना क्षयथी थाय छे, नहि के दानथी ............................. ३८ .................. ११५
लोभ बधा ज उत्तम गुणोनो घातक छे .............................................. ३९ .................. ११५
विषय
श्लोक
पृष्ठांक
[ ९ ]