Padmanandi Panchvinshati-Gujarati (Devanagari transliteration). Shree Padmanandi-Panchvinshati 1. Dharmopadeshamrut Gatha: 1 (1. Dharmopadeshamrut).

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।। नमः सिद्धेभ्योः ।।
श्रीमद् पद्मनन्दि विरचित
पद्मनन्दि-पंचविंशति:
१. धर्मोपदेशामृतम्
(स्रग्धरा)
कायोत्सर्गायताङ्गो जयति जिनपतिर्नाभिसूनुर्महात्मा
मध्याह्ने यस्य भास्वानुपरि परिगतो राजति स्मोग्रमूर्तिः
चक्रं कर्मेन्धनानामतिबहु दहतो दूरमौदास्यवात -
स्फू र्जत्सद्धयानवह्नेरिव रुचिरतरः प्रोद्गतो विस्फु लिङ्गः ।।।।
अनुवाद : कायोत्सर्गना निमित्ते जेमनुं शरीर लंबायेलुं छे एवा
नाभिरायना पुत्र महात्मा आदिनाथ जिनेन्द्र जयवंत हो, जेमना उपर प्राप्त थयेल
मध्याह्ननो तेजस्वी सूर्य एवो शोभे छे जाणे कर्मरूपी इन्धनना समूहने अतिशयपणे
बाळनार अने उदासीनतारूप वायुना निमित्ते प्रगट थयेल समीचीन ध्यानरूपी
अग्निनी तेजस्वी चिनगारी ज उत्पन्न थई होय.
विशेषार्थ : भगवान आदिनाथ जिनेन्द्रनी ध्यानावस्थामां तेमनी उपर जे मध्याह्न
काळनो तेजस्वी सूर्य आवतो हतो ते विषयमां ग्रंथकार उत्प्रेक्षा करे छे के ते सूर्य न हतो