६८ ][ पंचस्तोत्र
वादिराज मुनितैं अनु, वैयाकरणी सारे,
वादिराज मुनितैं अनु तार्किक विद्यावारे;
वादिराज मुनितैं अनु हैं काव्यनके ज्ञाता,
वादिराज मुनितैं अनु हैं भविजनके त्राता.
अर्थ : — (वर्तमानमां – वादिराजना समयमां) जे शाब्दिक लोक छे –
शब्दशास्त्रना ज्ञाताओ (वैयाकरणो)नो समूह छे – ते वादिराजनो अनुवर्ती
छे – प्रस्तुत स्तोत्रना कर्ता वादिराजमुनि तेमना अग्रणी छे – जे तार्किक
सिंहोनो समूह छे, ते वादिराजनो अनुवर्ती छे; जे काव्यकर्ता छे ते बधा
वादिराजना अनुवर्ती छे अने जे भव्यजीवोनी सहाय करनाराओनो
समुदाय छे, ते पण वादिराजनो अनुवर्ती छे – वादिराज मुनिने ज तेमां
प्रमुख स्थान प्राप्त छे.