Panch Stotra-Gujarati (Devanagari transliteration). Vishapahar Stotra.

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श्री महाकवि धनंजय रचित
विषापहार स्तोत्र
(उपजाति)
स्वात्मस्थितः सर्वगतः समस्त
व्यापारवेदी विनिवृत्तसंगः
प्रवृद्धकालोप्यजरो वरेण्यः,
पायादपायात्पुरुषः पुराणः ।।।।
अर्थ :पोताना आत्मस्वरूपमां स्थित होवा छतां पण
सर्वव्यापक, समस्त व्यापारोना ज्ञाता होवा छतां पण परिग्रहरहित,
दीर्घायु होवा छतां पण वृद्धावस्था रहित, एवा सर्वश्रेष्ठ पुराण पुरुष श्री
आदिनाथ जिनेन्द्रदेव भव्य जीवोने सांसारिक दुःखोथी छोडावीने मोक्षसुख
प्रदान करो. १.
परैरचिन्त्यं युगभारमेकः,
स्तोतुं वहन्योगिभिरप्यशक्यः
स्तुत्योऽद्य मेऽसौ वृषभो न भानोः,
किमप्रवेशे विशति प्रदीपः ।।।।
अर्थ :हे प्रभो! आप चक्रवर्त्ती आदि द्वारा अचिंत्य छो,
कर्मभूमिनी शरूआतमां कर्मभूमिनो भार आपे एकलाए ज वहन कर्यो
हतो, आपनी स्तुति करवामां परम ॠद्धिसंपन्न योगीओ पण असमर्थ
छे. आज ते ज श्री ॠषभनाथ भगवाननी हुं स्तुति करी रह्यो छुं. ते
बराबर छे केमके ज्यां सूर्यनो प्रकाश नथी पहोंचतो त्यां शुं दीपक प्रकाश
नथी करतो? अर्थात् करे ज छे. २.