Panch Stotra-Gujarati (Devanagari transliteration).

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विषापहार स्तोत्र ][ ७१
प्राप्ति करावी छे. हितमोक्ष (आत्मानी पूर्ण अवस्था) अने मोक्षना कारण
(पूर्णतानी श्रद्धा) तथा अहितसंसार (आत्मानी अपूर्ण दशा) अने
संसारना कारण (अपूर्णतानी श्रद्धा) बन्नेनो निर्णय करवामां असमर्थ बधा
अज्ञानी जीवोना आप खरेखर बाळवैद्य छो. ५.
दाता न हर्ता दिवसं विवस्वा
नद्यश्व इत्यच्युत दर्शिताशः
सव्याजमेवं गमयत्यशक्तः
क्षणेन दत्सेऽभिमतं नताय ।।।।
अर्थ :हे अच्युत! आप नम्र मनुष्यने क्षणमात्रमां मनोवांछित
सिद्धि आपो छो. अर्थात् आप समान निज शुद्धात्मानुं ध्यान करनार
जीवोने आप क्षणवारमां मोक्षदशानी प्राप्ति करावी द्यो छो. परंतु सूर्य जेम
आज अने काल एम करतो दिशा देखाडीने दिवस वीतावी दे छे परंतु
देतो लेतो कांई नथी तेवी ज रीते आपना सिवाय बीजुं कोई पण आज
आपीश, काल आपीश, अने इच्छितपद आपवानी आशा देखाडीने समय
वीतावी दे छे केम के ते स्वतः असमर्थ छे. ६.
उपैति भक्त्या सुमुखः सुखानि,
त्वयि स्वभावाद्विमुखश्च दुःखं
सदावदातद्युतिरेकरूप -
स्तयोस्त्वमादर्श इवावभासि ।।।।
अर्थ :हे प्रभुवर! आपना प्रत्ये भक्ति होवाथी सम्यग्द्रष्टि
जीव स्वभावथी ज सुख पामे छे अने आपथी विमुख मिथ्याद्रष्टि जीव
दुःख पामे छे. केवळज्ञान रूपी परमद्युतिने धारण करनार आप सदैव ते
बन्ने तरफ दर्पणनी जेम समता स्वभाव धारण करीने शोभायमान थाव
छो अर्थात् पुजारी उपर आप प्रसन्न थता नथी अने निन्दक उपर कोप
करता नथी छतां पण तेओ पोतपोताना परिणामो अनुसार सुख
दुःख
पामे छे. ७.