Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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कहानजैनशास्त्रमाळा ]
षड्द्रव्य-पंचास्तिकायवर्णन
१२१

शब्दस्य पुद्गलस्कन्धपर्यायत्वख्यापनमेतत

इह हि बाह्यश्रवणेन्द्रियावलम्बितो भावेन्द्रियपरिच्छेद्यो ध्वनिः शब्दः खलु स्वरूपेणानन्तपरमाणूनामेकस्कन्धो नाम पर्यायः बहिरङ्गसाधनीभूतमहास्कन्धेभ्यः तथाविधपरिणामेन समुत्पद्यमानत्वात् स्कन्धप्रभवः, यतो हि परस्पराभिहतेषु महा- स्कन्धेषु शब्दः समुपजायते किञ्च स्वभावनिर्वृत्ताभिरेवानन्तपरमाणुमयीभिः शब्द- योग्यवर्गणाभिरन्योन्यमनुप्रविश्य समन्ततोऽभिव्याप्य पूरितेऽपि सकले लोके यत्र यत्र बहिरङ्गकारणसामग्री समुदेति तत्र तत्र ताः शब्दत्वेन स्वयं व्यपरिणमन्त इति शब्दस्य


ते (शब्द) नियतपणे उत्पाद्य छे.

टीकाशब्द पुद्गलस्कंधपर्याय छे एम अहीं दर्शाव्युं छे.

आ लोकमां, बाह्य श्रवणेंद्रिय वडे अवलंबित, भावेंद्रिय वडे जणावायोग्य एवो जे ध्वनि ते शब्द छे. ते (शब्द) खरेखर स्वरूपे अनंत परमाणुओना एकस्कंधरूप पर्याय छे. बहिरंग साधनभूत (बाह्य-कारणभूत) महास्कंधो द्वारा तथाविध परिणामे (शब्दपरिणामे) ऊपजतो होवाथी ते स्कंधजन्य छे, कारण के महास्कंधो परस्पर अथडातां शब्द उत्पन्न थाय छे. वळी आ वात विशेष समजाववामां आवे छेएकबीजामां प्रवेशीने सर्वत्र व्यापीने रहेली एवी जे स्वभावनिष्पन्न ज (पोताना स्वभावथी ज बनेली), अनंतपरमाणुमयी शब्दयोग्य-वर्गणाओ तेमनाथी आखो लोक भरेलो होवा छतां ज्यां ज्यां बहिरंगकारणसामग्री उदित थाय छे त्यां त्यां ते वर्गणाओ शब्दपणे स्वयं

अथवा नीचे प्रमाणे पण शब्दना बे प्रकार छेः () भाषात्मक अने () अभाषात्मक. तेमां

भाषात्मक शब्द द्विविध छेअक्षरात्मक अने अनक्षरात्मक. संस्कृतप्राकृतादिभाषारूप ते अक्षरात्मक छे अने द्वींद्रियादिक जीवोना शब्दरूप तथा (केवळीभगवानना) दिव्य ध्वनिरूप ते अनक्षरात्मक छे. अभाषात्मक शब्द पण द्विविध छेप्रायोगिक अने वैश्रसिक. वीणा, ढोल, झांझ, वांसळी वगेरेथी

उत्पन्न थतो ते प्रायोगिक छे अने मेघादिथी उत्पन्न थतो ते वैश्रसिक छे.
कोई पण प्रकारनो शब्द हो परंतु सर्व शब्दनुं उपादानकारण लोकमां सर्वत्र भरेली शब्दयोग्य

वर्गणाओ ज छे; ते वर्गणाओ ज स्वयमेव शब्दपणे परिणमे छे, जीभ-ढोल-मेघ वगेरे मात्र निमित्तभूत छे. पं. १६

१. शब्द श्रवणेंद्रियनो विषय छे तेथी ते मूर्त छे. केटलाक लोको माने छे तेम शब्द आकाशनो गुण नथी, कारण के अमूर्त आकाशनो अमूर्त गुण इन्द्रियनो विषय थई शके नहि.

२. शब्दना बे प्रकार छेः () प्रायोगिक अने () वैश्रसिक. पुरुषादिना प्रयोगथी उत्पन्न थतो शब्द ते प्रायोगिक छे अने मेघादिथी उत्पन्न थतो शब्द ते वैश्रसिक छे.