बालावबोधभाषाटीका ( श्री पन्नालालजी बाकलीवाल द्वारा प्रचलित हिंदी भाषामां
परिवर्तित करायेला स्वरूपे ) प्रगट थयेल छे. हवे प्रकाशन पामता आ गुजराती
पंचास्तिकायसंग्रहमां मूळ गाथाओ, तेनो गुजराती पद्यानुवाद, संस्कृत समयव्याख्या
टीका अने ते गाथा-टीकानो अक्षरशः गुजराती अनुवाद प्रगट करवामां आवेल छे.
ज्यां विशेष स्पष्टता करवानी जरूर जणाई त्यां कौंसमां अथवा ‘ भावार्थ ’
मां अथव फूटनोटमां स्पष्टता करी छे. ते स्पष्टता करवामां घणां घणां स्थळोए श्री
जयसेनाचार्यदेवकृत तात्पर्यवृत्ति अतिशय उपयोगी थई छे; केटलीक जग्याए तो
तात्पर्यवृत्तिना कोई कोई भागनो अक्षरशः अनुवाद ज ‘भावार्थ ’ अथवा फूटनोटरूपे
लेवामां आव्यो छे. श्री हेमराजजीकृत बालावबोधभाषाटीकानो आधार पण कोईक
स्थळे लीधो छे. श्री परमश्रुतप्रभावक मंडळ द्वारा प्रकाशित पंचास्तिकायमां छपायेली
संस्कृत टीकाने हस्तलिखित प्रतो साथे मेळवतां तेमां क्यांक अल्प अशुद्धिओ रही
गयेली जणाई ते आमां सुधारी लेवामां आवी छे.
आ अनुवाद करवानुं महाभाग्य मने प्राप्त थयुं ते मने अति हर्षनुं कारणछे. परमपूज्य सद्गुरुदेवना आश्रय तळे आ गहन शास्त्रनो अनुवाद थयो छे. अनुवाद करवानी समस्त शक्ति मने पूज्यपाद सद्गुरुदेव पासेथी ज मळी छे. परमोपकारी सद्गुरुदेवना पवित्र जीवनना प्रत्यक्ष परिचय विना अने तेमना आध्यात्मिक उपदेश विना आ पामरने जिनवाणी प्रत्ये लेश पण भक्ति के श्रद्धा क्यांथी प्रगटत, भगवान कुंदकुंदाचार्यदेव अने तेमनां शास्त्रोनो लेश पण महिमा क्यांथी आवत अने ते शास्त्रोना अर्थ-उकेलनी लेश पण शक्ति क्यांथी होत? आ रीते अनुवादनी समस्त शक्तिनुं मूळ श्री सद्गुरुदेव ज होवाथी खरेखर तो सद्गुरुदेवनी अमृतवाणीनो धोध ज - तेमना द्वारा मळेलो अणमूल उपदेश ज - यथाकाळे आ अनुवादरूपे परिणम्यो छे. जेमणे सिंचेली शक्तिथी अने जेमनी हूंफथी आ गहन शास्त्रनो अनुवाद करवानुं में साहस खेड्युं हतुं अने जेमनी कृपाथी ते निर्विघ्ने पार पड्यो छे ते परमपूज्य परमोपकारी सद्गुरुदेव (श्री कानजीस्वामी)ना चरणारविंदमां अति भक्तिभावे वंदन करुं छुं.
अनुवादनी पूर्णाहुति करतां,उपकारवशतानी उग्र लागणी अनुभवाय छे.
जेमनां पवित्र जीवन अने बोध आ
पामरने श्री पंचास्तिकायसंग्रह प्रत्ये, पंचास्तिकायसंग्रहना महान कर्ता प्रत्ये अने