थयां छे, एवां ते परमपूज्य बहेनश्रीनां चरणकमळमां आ हृदय नमे छे.
आ अनुवादमां, माननीय मुरब्बी वकील श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी तथा बाळब्रह्मचारी भाईश्री चंदुलाल खीमचंद झोबाळियानी हार्दिक मदद छे. माननीय मुरब्बी श्री रामजीभाईए पोताना भरचक धार्मिक व्यवसायोमांथी समय काढीने आखो अनुवाद बारीकाईथी तपास्यो छे, यथोचित सलाह आपी छे अने अनुवादमां पडती नानीमोटी मुश्केलीओनो पोताना विशाळ शास्त्रज्ञानथी निवेडो करी आप्यो छे. तेमनी सलाह मने बहु उपयोगी थई छे. ब्र० भाईश्री चंदुलालभाईए आखो अनुवाद बहु ज झीणवटथी तपासी घणी उपयोगी सूचनाओ करी छे, बहु महेनत लईने हस्तलिखित प्रतोना आधारे संस्कृत टीका सुधारी आपी छे, अनुक्रमणिका, गाथासूची, शुद्धिपत्रक वगेरे तैयार कर्यां छे, तेम ज खूब चोकसाईथी प्रूफ तपास्यां छे — आम अतिशय परिश्रम ने काळजीपूर्वक सर्वतोमुखी सहाय करी छे. आ रीते बंनेए करेली हार्दिक मदद माटे हुं तेमनो अंतःकरणपूर्वक आभार मानुं छुं. तेमनी सहृदय सहाय विना आ अनुवादमां घणी ऊणपो रही जवा पामत. जे जे टीकाओ अने शास्त्रोनो में आधार लीधो छे ते सर्वना कर्ताओनो पण हुं ॠणी छुं.
आ अनुवाद में पंचास्तिकायसंग्रह प्रत्येनी भक्तिथी अने गुरुदेवनी प्रेरणाथी प्रेराईने, निजकल्याण अर्थे, भवभयथी डरतां डरतां कर्यो छे. अनुवाद करतां शास्त्रना मूळ आशयोमां कांई फेरफार न थई जाय ते माटे में माराथी बनती तमाम काळजी राखी छे. छतां अल्पज्ञताने लीधे तेमां कांई पण आशयफेर थयो होय के भूलो रही गई होय तो ते माटे हुं शास्त्रकार श्री कुंदकुंदाचार्यभगवान, टीकाकार श्री अमृतचंद्रा- चार्यदेव, परमकृपाळु श्री सद्गुरुदेव अने मुमुक्षु वाचकोनी अंतरना ऊंडाणमांथी क्षमा याचुं छुं.
जिनेन्द्रशासननुं संक्षेपथी प्रतिपादन करनारा आ पवित्र शास्त्रनो अभ्यास करी तेना आशयोने जो जीव बराबर समजे तो ते अवश्य चार गतिनां अनंत दुःखोनो नाश करी निर्वाणने पामे. तेना आशयोने सम्यक् प्रकारे समजवा माटे नीचेनी बाबत लक्षमां राखवी खास जरूरनी छेः — आ शास्त्रमां केटलांक कथनो स्वाश्रित निश्चयनयनां छे ( -जेओ स्वनुं परथी पृथक्पणे निरूपण करे छे) अने केटलांक कथनो पराश्रित व्यवहारनयनां छे ( – जेओ स्वनुं पर साथे भेळसेळपणे निरूपण करे छे); वळी केटलांक कथनो अभिन्नसाध्य-