Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 159 of 256
PDF/HTML Page 199 of 296

 

कहानजैनशास्त्रमाळा ]
नवपदार्थपूर्वक मोक्षमार्गप्रपंचवर्णन
१५९

भिन्नस्वभावभूतौ मूलपदार्थौ जीवपुद्गलसंयोगपरिणामनिर्वृत्ताः सप्तान्ये पदार्थाः शुभपरिणामो जीवस्य, तन्निमित्तः कर्मपरिणामः पुद्गलानाञ्च पुण्यम् अशुभ- परिणामो जीवस्य, तन्निमित्तः कर्मपरिणामः पुद्गलानाञ्च पापम् मोहरागद्वेष- परिणामो जीवस्य, तन्निमित्तः कर्मपरिणामो योगद्वारेण प्रविशतां पुद्गलानाञ्चास्रवः मोहरागद्वेषपरिणामनिरोधो जीवस्य, तन्निमित्तः कर्मपरिणामनिरोधो योगद्वारेण प्रविशतां पुद्गलानाञ्च संवरः कर्मवीर्यशातनसमर्थो बहिरङ्गान्तरङ्गतपोभिर्बृंहितशुद्धोप- योगो जीवस्य, तदनुभावनीरसीभूतानामेकदेशसंक्षयः समुपात्तकर्मपुद्गलानाञ्च निर्जरा मोहरागद्वेषस्निग्धपरिणामो जीवस्य, तन्निमित्तेन कर्मत्वपरिणतानां जीवेन सहान्योन्य- सम्मूर्च्छनं पुद्गलानाञ्च बन्धः अत्यन्तशुद्धात्मोपलम्भो जीवस्य, जीवेन सहात्यन्तविश्लेषः

जीव अने पुद्गलना संयोगपरिणामथी नीपजता सात बीजा पदार्थो छे. (तेमनुं संक्षिप्त स्वरूप नीचे प्रमाणे छे) जीवना शुभ परिणाम (ते पुण्य छे) तेम ज ते (शुभ परिणाम) जेनुं निमित्त छे एवा पुद्गलोना कर्मपरिणाम (शुभकर्मरूप परिणाम) ते पुण्य छे. जीवना अशुभ परिणाम (ते पाप छे) तेम ज ते (अशुभ परिणाम) जेनुं निमित्त छे एवा पुद्गलोना कर्मपरिणाम (अशुभकर्मरूप परिणाम) ते पाप छे. जीवना मोहरागद्वेषरूप परिणाम (ते आस्रव छे) तेम ज ते (मोहरागद्वेषरूप परिणाम) जेनुं निमित्त छे एवा जे योग द्वारा प्रवेशतां पुद्गलोना कर्मपरिणाम ते आस्रव छे. जीवना मोहरागद्वेषरूप परिणामनो निरोध (ते संवर छे) तेम ज ते (मोहरागद्वेषरूप परिणामनो निरोध) जेनुं निमित्त छे एवो जे योग द्वारा प्रवेशतां पुद्गलोना कर्मपरिणामनो निरोध ते संवर छे. कर्मना वीर्यनुं (कर्मनी शक्तिनुं) शातन करवामां समर्थ एवो जे बहिरंग अने अंतरंग (बार प्रकारनां) तपो वडे वृद्धि पामेलो जीवनो शुद्धोपयोग (ते निर्जरा छे) तेम ज तेना प्रभावथी (वृद्धि पामेला शुद्धोपयोगना निमित्तथी) नीरस थयेलां एवां उपार्जित कर्मपुद्गलोनो एकदेश संक्षय ते निर्जरा छे. जीवना, मोहरागद्वेष वडे स्निग्ध परिणाम (ते बंध छे) तेम ज तेना (स्निग्ध परिणामना) निमित्तथी कर्मपणे परिणत पुद्गलोनुं जीवनी साथे अन्योन्य अवगाहन (विशिष्ट शक्ति सहित एकक्षेत्रावगाहसंबंध) ते बंध छे. जीवनी अत्यंत शुद्ध आत्मोपलब्धि (ते मोक्ष छे) तेम ज कर्मपुद्गलोनो जीवथी अत्यंत

१. शातन करवुं=पातळुं करवुं; हीन करवुं; क्षीण करवुं; नष्ट करवुं.

२. संक्षय=सम्यक् प्रकारे क्षय