Panchastikay Sangrah-Gujarati (Devanagari transliteration).

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पंचास्तिकायसंग्रह
[ भगवानश्रीकुंदकुंद-

त्रिलक्षणस्य समस्तस्यापि वस्तुविस्तारस्य साद्रश्यसूचकत्वादेका सर्वपदार्थस्थिता च त्रिलक्षणस्य सदित्यभिधानस्य सदिति प्रत्ययस्य च सर्वपदार्थेषु तन्मूलस्यैवोपलम्भात सविश्वरूपा च विश्वस्य समस्तवस्तुविस्तारस्यापि रूपैस्त्रिलक्षणैः स्वभावैः सह वर्तमानत्वात अनन्तपर्याया चानन्ताभिर्द्रव्यपर्यायव्यक्ति भिस्त्रिलक्षणाभिः परिगम्यमानत्वात एवंभूतापि सा न खलु निरंकुशा किन्तु सप्रतिपक्षा प्रतिपक्षो ह्यसत्ता सत्तायाः, अत्रिलक्षणत्वं त्रिलक्षणायाः, अनेकत्वमेकस्याः, एकपदार्थस्थितत्वं सर्वपदार्थस्थितायाः, एकरूपत्वं सविश्वरूपायाः, एकपर्यायत्वमनन्तपर्यायाया इति द्विविधा हि सत्तामहासत्ता-


त्रिलक्षणवाळा समस्त वस्तुविस्तारनुं साद्रश्य सूचवे छे. वळी ते (सत्ता) ‘सर्वपदार्थस्थित छे, कारण के तेना कारणे ज (-सत्ताने लीधे ज) सर्व पदार्थोमां त्रिलक्षणनी (-उत्पादव्ययध्रौव्यनी), ‘सत्’ एवा कथननी अने ‘सत्’ एवी प्रतीतिनी उपलब्धि थाय छे. वळी ते (सत्ता) ‘सविश्वरूप’ छे, कारण के ते विश्वनां रूपो सहित अर्थात् समस्त वस्तुविस्तारना त्रिलक्षणवाळा स्वभावो सहित वर्ते छे. वळी ते (सत्ता) अनंतपर्यायमय’ छे, कारण के ते त्रिलक्षणवाळी अनंत द्रव्यपर्यायरूप व्यक्तिओथी व्याप्त छे. (आ प्रमाणे सामान्य-विशेषात्मक सत्तानुं तेना सामान्य पडखानी अपेक्षाए अर्थात महासत्तारूप पडखानी अपेक्षाए वर्णन थयुं.)

आवी होवा छतां ते खरेखर निरंकुश नथी परंतु सप्रतिपक्ष छे. (१) सत्ताने असत्ता प्रतिपक्ष छे; (२) त्रिलक्षणाने अत्रिलक्षणपणुं प्रतिपक्ष छे; (३) एकने अनेकपणुं प्रतिपक्ष छे; (४) सर्वपदार्थस्थितने एकपदार्थस्थितपणुं प्रतिपक्ष छे; (५) सविश्वरूपने एकरूपपणुं प्रतिपक्ष छे; (६) अनंतपर्यायमयने एकपर्यायमयपणुं प्रतिपक्ष छे.

(उपर्युक्त सप्रतिपक्षपणुं स्पष्ट समजाववामां आवे छे) सत्ता द्विविध छे महासत्ता अने अवान्तरसत्ता. तेमां, सर्वपदार्थसमूहमां व्यापनारी, साद्रश्यअस्तित्वने

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१. अहीं ‘सामान्यात्मक’नो अर्थ ‘महा’ समजवो अने ‘विशेषात्मक’नो अर्थ ‘अवान्तर’ समजवो. सामान्य-विशेषना बीजा अर्थो अहीं न समजवा.

२. निरंकुश=अंकुश विनानी; विरुद्ध पक्ष विनानी; निःप्रतिपक्ष. [सामान्यविशेषात्मक सत्ता उपर वर्णवी तेवी होवा छतां सर्वथा तेवी नथी, कथंचित् (सामान्य-अपेक्षाए) तेवी छे अने कथंचित् (विशेष- अपेक्षाए) विरुद्ध प्रकारनी छे.]

३. सप्रतिपक्ष=प्रतिपक्ष सहित; विपक्ष सहित; विरुद्ध पक्ष सहित.