Panchastikay Sangrah (Hindi).

< Previous Page   Next Page >


Page 176 of 264
PDF/HTML Page 205 of 293

 

background image
१७६
] पंचास्तिकायसंग्रह
[भगवानश्रीकुन्दकुन्द
इन्द्रियभेदेनोक्तानां जीवानां चतुर्गतिसंबंधत्वेनोपसंहारोऽयम्।

देवगतिनाम्नो देवायुषश्चोदयाद्देवाः, ते च भवनवासिव्यंतरज्योतिष्कवैमानिकनिकाय–भेदाच्चतुर्धा।
मनुष्यगतिनाम्नो मनुष्यायुषश्च उदयान्मनुष्याः। ते कर्मभोगभूमिजभेदात्
द्वेधा।
तिर्यग्गतिनाम्नस्तिर्यगायुषश्च उदयात्तिर्यञ्चः। ते पृथिवीशम्बूकयूकोद्दंशजलचरोरगपक्षिपरिसर्प–
चतुष्पदादिभेदादनेकधा। नरकगतिनाम्नो नरकायुषश्च उदयान्नारकाः। ते रत्नशर्करावालुका–
पङ्कधूमतमोमहातमःप्रभाभूमिजभेदात्सप्तधा। तत्र देवमनुष्यनारकाः पंचेन्द्रिया एव। तिर्यंचस्तु
केचित्पंचेन्द्रियाः, केचिदेक–द्वि–त्रि–चतुरिन्द्रिया अपीति।। ११८।।
-----------------------------------------------------------------------------
भूमिजाः] मनुष्य कर्मभूमिज और भोगभूमिज ऐसे दो प्रकारके हैं, [तिर्यञ्चः बहुप्रकाराः] तिर्यंच अनेक
प्रकारके हैं [पुनः] और [नारकाः पृथिवीभेदगताः] नारकोंके भेद उनकी पृथ्वियोंके भेद जितने हैं।
टीकाः– यह, इन्द्रियोंके भेदकी अपेक्षासे कहे गये जीवोंका चतुर्गतिसम्बन्ध दर्शाते हुए उपसंहार
है [अर्थात् यहाँ एकेन्द्रिय–द्वीन्द्रियादिरूप जीवभेदोंका चार गतिके साथ सम्बन्ध दर्शाकर जीवभेदों
उपसंहार किया गया है]।
देवगतिनाम और देवायुके उदयसे [अर्थात् देवगतिनामकर्म और देवायुकर्मके उदयके
निमित्तसे] देव होते हैं; वे भवनवासी, व्यंतर, ज्योतिष्क और वैमानिक ऐसे निकायभेदोंके कारण
चार प्रकारके हैं। मनुष्यगतिनाम और मनुष्यायुके उदयसे मनुष्य होते हैं; वे कर्मभूमिज और भोगभूमिज
ऐसे भेदोंके कारण दो प्रकारके हैं। तिर्यंचगतिनाम और तिर्यंचायुके उदयसे तिर्यंच होते हैं; वे पृथ्वी,
शंबूक, जूं, डाँस, जलचर, उरग, पक्षी, परिसर्प, चतुष्पाद [चौपाये] इत्यादि भेदोंके कारण अनेक
प्रकारके हैं। नरकगतिनाम और नरकायुके उदयसे नारक होते हैं; वे
रत्नप्रभाभूमिज,
शर्कराप्रभाभूमिज, बालुकाप्रभाभूमिज, पंकप्रभाभूमिज, धूमप्रभाभूमिज, तमःप्रभाभूमिज और
महातमःप्रभाभूमिज ऐसे भेदोंके कारण सात प्रकारके हैं।
उनमें, देव, मनुष्य और नारकी पंचेन्द्रिय ही होते हैं। तिर्यंच तो कतिपय
--------------------------------------------------------------------------
१। निकाय = समूह

२। रत्नप्रभाभूमिज = रत्नप्रभा नामकी भूमिमें [–प्रथम नरकमें] उत्पन्न ।