Panchastikay Sangrah (Hindi).

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] पंचास्तिकायसंग्रह
[भगवानश्रीकुन्दकुन्द
इह हि जीवानां पुद्गलानां च सत्तास्वभावत्वादस्ति प्रतिक्षणमुत्पादव्ययध्रौव्यैकवृत्तिरूपः परिणामः। स
खलु सहकारिकारणसद्भावे द्रष्टः, गतिस्थित्यवगाहपरिणामवत्। यस्तु सहकारिकारणं स कालः।
तत्परिणामान्यथानुपपतिगम्यमानत्वादनुक्तोऽपि निश्चयकालोऽ–स्तीति निश्चीयते। यस्तु
निश्चयकालपर्यायरूपो व्यवहारकालः स जीवपद्गलपरिणामेनाभि–व्यज्यमानत्वात्तदायत्त एवाभिगम्यत
एवेति।। २३।।
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इस जगतमें वास्तवमें जीवोंको और पुद्गलोंको सत्तास्वभावके कारण प्रतिक्षण
उत्पादव्ययध्रौव्यकी एकवृत्तिरूप परिणाम वर्तता है। वह [–परिणाम] वास्तवमें सहकारी कारणके
सद्भावमें दिखाई देता है, गति–स्थित–अवगाहपरिणामकी भाँति। [जिसप्रकार गति, स्थिति और
अवगाहरूप परिणाम धर्म, अधर्म और आकाशरूप सहकारी कारणोंके सद्भावमें होते हैं, उसी प्रकार
उत्पादव्ययध्रौव्यकी एकतारूप परिणाम सहकारी कारणके सद्भावमें होते हैं।] यह जो सहकारी
कारण सो काल है।
जीव–पुद्गलके परिणामकी अन्यथा अनुपपत्ति द्वारा ज्ञात होता है इसलिए,
निश्चयकाल–[अस्तिकायरूपसे] अनुक्त होने पर भी–[द्रव्यरूपसे] विद्यमान है ऐसा निश्चित होता है।
और जो निश्चयकालकी पर्यायरूप व्यवहारकाल वह, जीव–पुद्गलोंके परिणामसे व्यक्त [–गम्य]
होता है इसलिये अवश्य तदाश्रित ही [–जीव तथा पुद्गलके परिणामके आश्रित ही] गिना जाता है
।।२३।।
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१। यद्यपि कालद्रव्य जीव–पुद्गलोंके परिणमाके अतिरिक्त धर्मास्तिकायादिके परिणामको भी निमित्तभूत है
तथापि जीव–पुद्गलोंके परिणाम स्पष्ट ख्यालमें आते हैं इसलिये कालद्रव्यको सिद्ध करनेमें मात्र उन दोके
परिणामकी ही बात ली गई है।
२। अन्यथा अनुपपत्ति = अन्य किसी प्रकारसे नहीं हो सकता। [जीव– पुद्गलोंके उत्पादव्ययध्रौव्यात्मक
परिणाम अर्थात् उनकी समयविशिष्ट वृत्ति। वह समयविशिष्ट वृत्ति समयको उत्पन्न करनेवाले किसी पदार्थके
बिना [–निश्चयकालके बिना] नहीं हो सकती। जिसप्रकार आकाश बिना द्रव्य अवगाहन प्राप्त नहीं कर
सकते अर्थात् उनका विस्तार [तिर्यकपना] नहीं हो सकता उसी प्रकार निश्चयकाल बिना द्रव्य परिणामको
प्राप्त नहीं हो सकते अर्थात् उनको प्रवाह [ऊर्ध्वपना] नहीं हो सकता। इस प्रकार निश्चयकालके अस्तित्व
बिना [अर्थात् निमित्तभूत कालद्रव्यके सद्भाव बिना] अन्य किसी प्रकार जीव–पुद्गलके परिणाम बन नहीं
सकते इसलिये ‘निश्चयकाल विद्यमान है’ ऐसा ज्ञात होता है– निश्चित होता है।]