Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Bengali transliteration). Gatha-166 (Adhikar 2).

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Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
শ্রী দিগংবর জৈন স্বাধ্যাযমংদির ট্রস্ট, সোনগঢ - ৩৬৪২৫০
৪৮৮ ]যোগীন্দুদেববিরচিত: [ অধিকার-২ : দোহা-১৬৫
कोऽसौ अप्पा निजशुद्धात्मा किंविशिष्टः देउ आराधनायोग्यः केवलज्ञानाद्यनन्तगुणाधारत्वेन
देवः परमाराध्यः पुनरपि किंविशिष्टः अणंतु अनन्तपदार्थपरिच्छित्तिकारणत्वाद-
विनश्वरत्वादनन्तः किं कृत्वा मणु घरिवि मनो धृत्वा क्व अंबरि अम्बरशब्दवाच्ये
पूर्वोक्त लक्षणे रागादिशून्ये निर्विकल्पसमाधौ कथंभूते समरसि वीतरागतात्त्विकमनोहरानन्द-
स्यन्दिनि समरसीभावे साध्ये सामिय हे स्वामिन् प्रभाकरभट्टः पश्चात्तापमनुशयं कुर्वन्नाह किं
ब्रूते णट्ठु णिभंतु इयन्तं कालमित्थंभूतं परमात्मोपदेशमलभमानः सन् निर्भ्रान्तो
नष्टोऽहमित्यभिप्रायः ।।१६५।। एवं परमोपदेशकथनमुख्यत्वेन सूत्रदशकं गतम्
अथ परमोपशमभावसहितेन सर्वसंगपरित्यागेन संसारविच्छेदं भवतीति युग्मेन
निश्चिनोति
२९७) सयल वि संग ण मिल्लिया णवि किउ उवसम-भाऊ
सिव-पय-मग्गु वि मुणिउ णवि जहिं जोइहिँ अणुराउ ।।१६६।।
অনংতগুণনো আধার হোবাথী ‘দেব’ অর্থাত্ পরম আরাধ্য ছে অনে অনংত পদার্থোনী জ্ঞপ্তিনা
কারণভূত হোবাথী তথা অবিনশ্বর হোবাথী ‘অনংত’ ছে, তেনে-মেং সাধ্যরূপ জে বীতরাগ-তাত্ত্বিক
-মনোহর-আনংদঝরতো সমরসীভাব তে সমরসীভাবস্বরূপ এবী ‘অংবর’ শব্দথী বাচ্য
পূর্বোক্ত-লক্ষণবালী, রাগাদিশূন্য, নির্বিকল্প সমাধিমাং মননে লগাডীনে জাণ্যো নহি.
প্রভাকরভট্ট পশ্চাত্তাপ করতো কহে ছে কে হে স্বামী! আটলা কাল সুধী আবো পরমাত্মানো
উপদেশ প্রাপ্ত ন করীনে নিঃসংদেহ হুং নষ্ট থযো. ১৬৫.
এ প্রমাণে পরম উপদেশনা কথননী মুখ্যতাথী দস গাথাসূত্রো সমাপ্ত থযাং.
হবে, পরম উপশমভাব সহিত সর্বসংগনা ত্যাগ বডে সংসারনো নাশ থায ছে, এম বে
গাথাসূত্রোথী নক্কী করে ছে :
स्वामिन् मैंने अब तक रागादि विभाव रहित निर्विकल्पसमाधिमें मन लगाकर आत्म-देव नहीं
जाना, इसलिए इतने काल तक संसारमें भटका निजस्वरूपकी प्राप्तिके बिना मैं नष्ट हुआ
अब
ऐसा उपदेश करें कि जिससे भ्रम मिट जावे ।।१६५।।
इसप्रकार परमोपदेशके कथनकी मुख्यतासे दस दोहे कहे हैं
आगे परमोपदेश भाव सहित सब परिग्रहका त्याग करनेसे संसारका विच्छेद होता है,
ऐसा दो दोहेमें निश्चय करते हैं