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योगीन्दुदेवविरचितः
[ अधिकार-२ः दोहा-४४
बिण्णि वि इत्यादि । बिण्णि वि द्वावपि । द्वौ कौ । दोस दोषौ हवंति भवतः
तसु यस्य तपोधनस्य जो सम-भाउ करेइ यः समभावं करोति रागद्वेषत्यागं करोति ।
कौ तौ द्वौ । दोषौ बंधु जि णिहणइ बन्धमेव निहन्ति । कथंभूतं बन्धम् । अप्पणउ
आत्मीयं अणु पुनः जगु जगत् प्राणिगणं गहिलु करेइ ग्रहिलं पिशाचसमानं विकलं
करोति । अयमत्र भावार्थः । समशब्देनात्राभेदनयेन रागादिरहित आत्मा भण्यते, तेन
कारणेन योऽसौ समं करोति वीतरागचिदानन्दैक स्वभावं निजात्मानं परिणमति तस्य दोषद्वयं
भवति । कथमिति चेत् । प्राकृतभाषया बन्धुशब्देन ज्ञानावरणादिबन्धा भण्यन्ते गोत्रं च
येन कारणेनोपशमस्वभावेन परमात्मस्वरूपेण परिणतः सन् ज्ञानावरणादिकर्मबन्धं निहन्ति
तेन कारणेन स्तवनं भवति, अथवा येन कारणेन बन्धुशब्देन गोत्रमपि भण्यते तेन
हवे, जे संयमी उपशमभावने करे छे तेनी निंदा द्वारा स्तुति त्रण गाथासूत्रो द्वारा कहे
छेः —
भावार्थः — अहीं अभेदनयथी ‘सम’ शब्दथी रागादि रहित आत्मा समजवो;
तेथी जे कोई समता करे छे — वीतराग चिदानंद ज जेनो एक स्वभाव छे एवा निज
आत्मारूपे परिणमे छे – तेने बे दोष ऊपजे छे. केवी रीते? प्राकृत भाषामां ‘बंधु’ शब्दथी
ज्ञानावरणादि कर्मनो बंध कहेवाय छे अने भाई पण कहेवाय छे. जे कारणे उपशम
(शांत) स्वभावथी परमात्मस्वरूपे परिणम्यो थको ज्ञानावरणादि कर्मबंधने हणे छे ते कारणे
स्तुति थाय छे; जे कारणे ‘बंधु’ शब्दनो अर्थ भाई पण लेवाय छे ते ‘बंधुघाती’ ए
अर्थथी लोकव्यवहारभाषाथी निंदा पण थाय छे (आ दोष नथी पण गुण छे, आ निंदा
द्वारा स्तुति छे.)
[आत्मीयं बंधं एव निहंति ] एक तो अपने बंधको नष्ट करता है, [पुनः ] दूसरे [जगद् ग्रहिलं
करोति ] जगत्के प्राणियोंको बावला – पागल बना देता है ।
भावार्थ : — यह निंदा द्वारा स्तुति है । प्राकृत भाषामें बंधु शब्दसे ज्ञानावरणादि कर्मबंध
भी लिया जाता है, तथा भाईको भी कहते हैं । यहाँ पर बंधु – हत्या निंद्य है, इससे एक तो
बंधु – हत्याका दोष आया तथा दूसरा दोष यह है, कि जो कोई इनका उपदेश सुनता है, वह
वस्त्र आभूषणका त्यागकर नग्न दिगंबर हो जाता है । कपड़े उतारकर नंगा हो जाना उसे लोग
गहला – पागल कहते हैं । ये दोनों लोकव्यवहारमें दोष हैं, इन शब्दोंके ऐसे अर्थ ऊ परसे निकाले
हैं । परंतु दूसरे अर्थमें कोई दोष नहीं है, स्तुति ही है । क्योंकि कर्मबंध नाश करने ही योग्य
है, तथा जो समभावका धारक है, वह आप नग्न दिगम्बर हो जाता है, और अन्यको दिगम्बर