Parmatma Prakash (Gujarati Hindi) (Tamil transliteration). Gatha-2 (Adhikar 1).

< Previous Page   Next Page >


Page 14 of 565
PDF/HTML Page 28 of 579

background image
Shri Digambar Jain Swadhyay Mandir Trust, Songadh - 364250
ஶ்ரீ திகஂபர ஜைந ஸ்வாத்யாயமஂதிர ட்ரஸ்ட, ஸோநகட - ௩௬௪௨௫௦
நமஸ்கார கருஂ சுஂ ஏவோ அபிப்ராய மநமாஂ தாரீநே க்ரஂதகார ஸூத்ர கஹே சே :ஆஜ க்ரமதீ பாதநிகாநுஂ
ஸ்வரூப ஸர்வத்ர ஜாணவுஂ.
பாவார்த :ஜேஓ கேவளஜ்ஞாநாதி மோக்ஷலக்ஷ்மீதீ ஸஹித தஶே அநே ஸம்யக்த்வாதி ஆட
குணரூபீ விபூதிதீ ஸஹித தஶே ஏவா தே அநஂத ஸித்தகணோநே ஹுஂ நமஸ்கார கருஂ சுஂ. ஶுஂ கரீநே
ஸித்த தஶே? கே ஜேஓ வீதராக ஸர்வஜ்ஞப்ரணீத மார்கதீ துர்லபபோதி ப்ராப்த கரீநே ஆகாமீ காளமாஂ
ஶிவமய, நிருபம அநே ஜ்ஞாநமய ஸித்த தஶே, ஜேம கே ஶ்ரேணிக ஆதி. அஹீஂ ‘ஶிவ’ ஶப்ததீ நிஜ
निरुपमज्ञानमया भविष्यन्त्यग्रे तानहं नमस्करोमीत्यभिप्रायं मनसि धृत्वा ग्रन्थकारः सूत्रमाह,
इत्यनेन क्रमेण पातनिकास्वरूपं सर्वत्र ज्ञातव्यम्
२) ते वंदउँ सिरि-सिद्ध-गण होसहिँ जे वि अणंत
सिवमय-णिरुवम-णाणमय परम-समाहि भजंत ।।।।
तान् वन्दे श्रीसिद्धगणान् भविष्यन्ति येऽपि अनन्ताः
शिवमयनिरूपमज्ञानमयाः परमसमाधिं भजन्तः ।।।।
ते वंदउं तान् वन्दे तान् कान् सिरिसिद्धगण श्रीसिद्धगणान् ये किं करिष्यन्ति
होसहिं जे वि अणंत भविष्यन्त्यग्रे येऽप्यनन्ताः कथंभूता भविष्यन्ति सिवमयणिरुवमणाणमय
शिवमयनिरुपमज्ञानमयाः, किं भजन्तः सन्तः इत्थंभूता भविष्यन्ति परमसमाहि भजंत
रागादिविकल्परहितपरमसमाधिं भजन्तः सेवमानाः इतो विशेषः तथाहितान् सिद्धगणान्
௧௪ ]யோகீந்துதேவவிரசித: [ அதிகார-௧ : தோஹா-௨
चढ़के उस पर आगामी कालमें कल्याणमय अनुपम ज्ञानमई होंगे, उनको मैं नमस्कार करता
हूँ
गाथा
अन्वयार्थ :[‘अहं’ ] मैं [तान् ] उन [सिद्धगणान् ] सिद्ध समूहोंको [वन्दे ]
नमस्कार करता हूँ , [येऽपि ] जो [अनन्ताः ] आगामीकालमें अनंत [भविष्यन्ति ] होंगे कैसे
होंगे ? [शिवमयनिरूपमज्ञानमया ] परमकल्याणमय, अनुपम और ज्ञानमय होंगे क्या करते
हुए ? [परमसमाधिं ] रागादि विक ल्प रहित परमसमाधि उसको [भजन्तः ] सेवते हुए
भावार्थ :जो सिद्ध होंगे, उनको मैं वन्दता हूँ कै से होंगे, आगामी कालमें सिद्ध,
केवलज्ञानादि मोक्षलक्ष्मी सहित और सम्यक्त्वादि आठ गुणों सहित अनंत होंगे क्या करके
सिद्ध होंगे ? वीतराग सर्वज्ञदेवकर प्ररूपित मार्गकर दुर्लभ ज्ञानको पाके राजा श्रेणिक आदिकके