१८ ] [ प्रवचन रत्नाकर भाग-७
समकितीनो भोगोपभोग निर्जरानुं निमित्त ज कह्यो छे हों, कारण के जे द्रव्य- निर्जरा थाय छे ते तो तेना कारणे-कर्मना परमाणुओना कारणे-ज थाय छे. ज्ञानी, रागभावने पोतानो मानतो नथी माटे तेनो विरागभाव निर्जरानुं निमित्त थाय छे अने पूर्वनुं जे कर्म उदयमां आव्युं ते खरी गयुं ते द्रव्यनिर्जरा छे.
[प्रवचन नं. २६३-२६४*दिनांक १६-१२-७६ अने १७-१२-७६]