Pravachan Ratnakar-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 1962 of 4199

 

समयसार गाथा-१९७ ] [ ४९

‘पूर्वसंचित कर्मना उदयथी प्राप्त विषयोने’-एम कह्युं ने? त्यां विषयो अर्थात् सामग्री तो पोताना उपादानना कारणे प्राप्त थई आवी छे, पण तेमां निमित्त कोण छे? तो कहे छे पूर्वसंचित कर्म. बस, आ निमित्तनुं ज्ञान कराववा व्यवहारथी कह्युं के पूर्वसंचित कर्मना उदयथी विषयो प्राप्त थया छे. खरेखर तो सामग्रीना परमाणु ते काळे स्वतंत्र रीते परिणमन-गति करीने संयोगपणे आव्या छे. समजाणुं कांई...?

त्यारे अज्ञानीने वांधा ऊठे छे के कर्मना निमित्तथी कार्य थाय छे एम न मानो तो भगवानना निमित्तथी शुभभाव थाय छे इत्यादि वात उडी जाय छे.

अरे भाई! भगवानना निमित्तथी शुभभाव थाय छे एम कहेवुं ए तो व्यवहारनयनुं कथन छे. जेने पोताना अशुद्ध उपादानना कारणे शुभभाव थाय छे तेने भगवान निमित्त छे बस एटलुं ज. शुं भगवान शुभभाव करावी दे छे? ना; एम नथी. भगवान कर्ता अने तने शुभभाव थाय ते कार्य एम छे ज नहि. अरे भगवान! शुं थयुं छे तने? मांड समजवानां टाणां आव्यां छे त्यां पीठ फेरवीने केम ऊभो छे?

सम्यग्द्रष्टि पूर्वकर्मना उदयथी प्राप्त विषयोने सेवे छे अने छतां असेवक छे. भाषा जोई? विषयो तो पोतपोताना कारणे आव्या छे पण तेमां पूर्वकर्मनो उदय निमित्त छे तो पूर्वकर्मना उदयथी विषयो प्राप्त थया छे एम व्यवहारथी कह्युं. वळी ते विषयोने सम्यग्द्रष्टि सेवे छे एम कह्युं; तो शुं परने सेवी शकाय छे? कदीय नहि. तो कह्युं छे ने? भाई! ए पर विषयो प्रति थता रागने ते खरेखर सेवे छे तो विषयोने ते सेवे छे एम व्यवहारथी कहेवामां आव्युं छे. खरेखर तो ज्ञानी विषयो तरफनो एने जे रागांश थाय छे तेने सेवे छे, विषयोने नहि. (पर विषयोने तो ए अडतोय नथी).

पण अहीं बीजी वात छे. अहीं तो कहे छे-ज्ञानी विषयोने सेवतो थको असेवक छे. झीणी वात, भाई! ज्ञानीने रागादिभावोनो अभाव छे. जेणे चिदानंदरसस्वरूप सच्चिदानंदमय भगवान आत्माना आनंदना रसनो स्वाद चाख्यो छे एवा धर्मी जीवने रागना रसनी रुचि नथी तेथी तेने विषयोनो स्वाद लुख्खो अने बेस्वाद-कडवो झेर जेवो लागे छे. तेथी कह्युं के ज्ञानी विषयोने सेवे छे छतां असेवक छे. अज्ञानी जीव अभिप्रायने समजे नहि, कया नयनुं कथन छे ते समजे नहि एटले एने वाते वाते वांधा ऊठे छे. परंतु भाई! दरेक वातमां शब्दार्थ, आगमार्थ, नयार्थ इत्यादि प्रकारे अर्थ करी तेनुं रहस्य अने तात्पर्य काढवुं जोईए. भाई! ‘घीनो घडो’-एनी माफक व्यवहारथी संक्षेपमां जे कथन करेलां होय तेनो यथास्थित अर्थ समजवो जोईए.