छरीथी टुकडा थाय तेने दावुं कहे छे, अने साकरनो गांगडो होय तेनो भुको थाय तेने भेदावुं कहे छे.
सर्वज्ञने ‘परम-पुरुष’ कहेवामां आवे छे, एम आत्मा वस्तुपणे ‘परम पुरुष’ छे. अंदर आनंदनो नाथ प्रभु सच्चिदानंद-स्वरूप ए ‘परम पुरुष’ छे. सर्वज्ञ परमात्मा बाधा रहित ‘निराबाध’ छे. सर्वज्ञने बाधा केवी? भगवाननो सर्वज्ञ उपयोग-तेनो कदी नाश थतो नथी. अलिंग-ग्रहणना नवमा बोलमां आवे छे के उपयोगनुं कदीय परथी हरण थई शकतुं नथी. एम आत्मा वस्तुपणे ‘निराबाध’ छे. सर्वज्ञ परमेश्वर वीतराग अरिहंतदेव ‘सिद्ध’ छे, एम भगवान आत्मा ‘सिद्ध’ स्वरूप छे; ‘तुं छो सिद्धस्वरूप’. सर्वज्ञ परमेश्वर ए साचा ‘सत्यात्मा’ छे, केमके पर्यायमां सत्यार्थपणुं प्रगट थई गयुं छे. एम द्रव्य पोते ‘सत्यात्मा’, सत्यार्थ-भूतार्थ त्रिकाळ छे. आ वात समयसार गाथा अगियारमां आवे छे.
सर्वज्ञ परमेश्वर पर्याय ‘चिदानंद’ छे, एम भगवान आत्मा शक्तिए ‘चिदानंद’ छे. चिदानंद स्वभाव छे तो चिदानंद पर्याय प्रगट थाय छे. ईष्टदेव ‘सर्वज्ञ’ छे. आ आत्मा पण स्वभावे ‘सर्वज्ञ’ छे. सर्वज्ञ परमेश्वर ‘वीतराग’ छे, आ आत्मा पण ‘वीतराग’ स्वरूप ज छे. द्रव्य स्वरूपथी ज वीतराग-स्वरूप छे जेमांथी वीतराग पर्याय प्रगट थाय छे. सर्वज्ञ परमात्मा ‘अर्हत्’ एटले सर्वने पूजनीय छे, पर्यायमां बधाने पूजवा लायक छे. एम भगवान आत्मा पण पूजनीय- ‘अर्हत्’ छे. पूजनार पर्याय छे, पूजवा योग्य भगवान आत्मा छे.
सर्वज्ञ परमेश्वर ‘जिन’ छे, आ आत्मा पण ‘जिन स्वरूप’ छे. जिन स्वरूप ज पोते छे. सर्वज्ञ परमेश्वर ‘आप्त’ छे, एम आत्मा पण निश्चयथी ‘आप्त’ छे. वीतराग पूर्ण हितने माटे मानवा लायक छे एम आ आत्मा पण हितने माटे मानवा लायक छे. सर्वज्ञदेव ‘भगवान’ छे. परमेश्वर साक्षात् केवळज्ञानी बिराजे छे एवो ज आ आत्मा शक्तिए ‘भगवान’ छे. सर्वज्ञ भगवान ‘कार्य समयसार’ छे, तो आत्मा पोते ‘कारण समयसार’ छे. ईत्यादि हजारो नामो कही शकाय छे.
भगवान केवळज्ञान पामे त्यां समोसरणमां ईंद्रो आवीने एक हजार आठ नामोथी भगवाननी स्तुति करे छे बनारसीदासे तथा जिनसेनस्वामीए पण आदिपुराणमां १००८ नामोथी भगवाननी स्तुति करी छे. जेटला नाम सर्वज्ञ वीतरागने कहेवामां आवे छे एटलां ज नाम पर्यायथी व्यतिरिक्त भगवान द्रव्यस्वभावने कहेवामां आवे छे. जे नाम